बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक दिन पहले ही पहुंच चुके थे, जिन्होंने सुबह तड़के स्नान किया। श्रद्धालुओं के स्नान का क्रम देर शाम तक जारी रहने का अनुमान है। खास तौर पर विद्यार्थी बसंत पंचमी के पर्व पर संगम में स्नान के बाद ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना कर रहे हैं। इस पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। संगम में इसलिए भी इसका ज्यादा महत्व माना गया है, क्योंकि यहां गंगा और यमुना के साथ ही अदृश्य रुप से प्रवाहमान अंत: सलिला सरस्वती भी मौजूद हैं।
बसंत पंचमी के मौके पर सुबह 11 बजे तक 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगा ली थी। श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद घाटों पर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य भी कर रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन साधक, तपस्वी, योगी, विद्यार्थी जो भी साधना करते हैं पूरी होती है।
इस पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए स्नान घाटों पर खास इंतजाम किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र में जहां साढ़े सात किलोमीटर के दायरे में 18 स्नान घाट बनाए गए हैं। सुरक्षा के मद्देनजर घाटों पर जल पुलिस के साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएएफ को भी तैनात किया गया है। साथ ही मेले में पुलिस, पीएसी के साथ पैरामिलिट्री भी तैनात की गई है। 174 सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से भी नजर रखी जा रही है।
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