सिद्धार्थनगर में के लिए दुलहनों को सजाने के लिए महिला टीचरों की ड्यूटी लगाने के फरमान ने काफी सुर्खियां बटोरीं। मामले में किरकिरी होने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने इस आदेश को रद्द करते हुए इसे जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दे दिया। हालांकि अब एक और आदेश वायरल हो रहा है, जिसके मुताबिक खुद जिलाधिकारी (डीएम) ने दुलहनों के मेकअप के लिए ‘महिला स्टाफ’ को लगाने का आदेश दिया था और खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने सिर्फ उस आदेश का पालन किया था।
जिलाधिकारी दीपक मीणा ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए जिले के अलग-अलग विभागों के अधिकारियों की ड्यूटी लगाई थी। सभी अधिकारियों को उनके विभाग के अनुसार काम बांटा गया था। 25 जनवरी के इस आदेश के पॉइंट नंबर 6 पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया गया था कि वे अपने विभाग की ‘महिला स्टाफ’ की मदद से दुलहनों के सजाने और उन्हें उनके स्थान पर बैठाने की व्यवस्था करेंगे।
‘मैंने कहीं नहीं कहा था कि महिला टीचरों से मेकअप करवाएं’नौगढ़ के खंड शिक्षा अधिकारी ध्रुव प्रसाद ने 27 जनवरी को जो आदेश जारी किया, उसमें उन्होंने बाकायदा 20 महिला शिक्षकों की ड्यूटी दुलहन सजाने में लगा दी। इस बारे में
एनबीटी ऑनलाइन ने डीएम दीपक मीणा से बात की। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए मैंने अधिकारियों को काम बांटा था। बीएसए या बीईओ के लिए मेरे आदेश में मैंने साफ तौर पर ‘महिला स्टाफ से समन्वय कर दुलहनों को सजाने की व्यवस्था करने’ के लिए कहा था। इसे अधिकारी ने अपनी तरह से समझा और अपने अधीनस्थ महिला टीचरों की ड्यूटी लगा दी, जो सही नहीं है।’
‘दुलहनों के मेकअप का काम महिला ही कर सकती थीं’उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने आदेश में कहीं नहीं कहा था कि दुलहन सजाने के लिए महिला टीचरों को लगाया जाए। जब भी ऐसे काम होते हैं, हम कभी भी फील्ड में तैनात हमारे कर्मचारियों को उनमें नहीं शामिल करते हैं। मेकअप का काम ऐसा था जिसमें पुरुष अधिकारियों की ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती थी, इसीलिए अधिकारियों को महिला स्टाफ के सहयोग से मेकअप की व्यवस्था करने के लिए कहा था। महिला स्टाफ से मेरा मतलब कहीं भी महिला टीचरों से नहीं था। हालांकि बीईओ ने गलती की, जिसकी उन्हें सजा मिल गई है।’
Source: International