यूपी के बिजनौर जिले की एक अदालत ने पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच दंगा करने और हत्या का प्रयास करने के आरोपी 48 लोगों को जमानत दे दी। पुलिस ने संबंधित मामलों में मुकदमा दर्ज किया था। अदालत ने बुधवार को 83 आरोपियों में से 48 द्वारा दायर जमानत याचिका की सुनवाई की। इस दौरान न्यायाधीश ने पुलिस की अब तक की जांच पर कुछ तीखी टिप्पणियां कीं।
जमानत का आदेश देते हुए जज ने कहा, ‘पुलिस की प्राथमिकी में कहा गया है कि भीड़ ने पुलिस पर गोलीबारी की, लेकिन अदालत के सामने हथियार बरामदगी से संबंधित कोई भी सबूत नहीं पेश किया गया।’ न्यायाधीश ने कहा, ‘सरकारी वकील अदालत में ऐसा कोई सबूत पेश करने में नाकाम रहे हैं, जिससे पता चले कि भीड़ में से किसी ने पुलिस पर गोली चलाई थी। न ही यह सबूत दिया गया है कि किसी भी निजी वाहन या दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी।’
झड़प के बाद 83 लोग गिरफ्तार जज ने कहा, ‘सरकारी वकील ने कहा कि घटना में 13 पुलिसकर्मियों को चोटें लगी हैं, लेकिन इन सभी लोगों की मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ये बेहद मामूली चोटें हैं।’
बता दें कि पिछले साल 20 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी और पुलिस ने माना है कि उनमें से एक की मौत पुलिस की गोली से हुई है। यूपी पुलिस ने अपनी गोलीबारी में किसी की मौत होने का यही एक मामला कबूल किया है। झड़प के बाद कुल 83 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
Source: International