बीएचयू में मनीं बाबासाहब आंबेडकर के 'मूकनायक' की सौवीं वर्षगांठ

वाराणसी
संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर द्वारा प्रकाशित प्रथम पाक्षिक ” के 100वें वर्ष पर शुक्रवार को बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय स्थित एचएन त्रिपाठी सभागार में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात साहित्यकार प्रफेसर चौथीराम तथा पूर्व जस्टिस जवाहरलाल कौल रहे।

इस मौके पर प्रफेसर चौथीराम ने कहा, ‘आज के सौ साल पहले डॉक्टर आंबेडकर ने ‘मूकनायक’ पत्र की शुरुआत की। आज यह शीर्षक बहुत प्रासंगिक हो उठा है। यह कहने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए कि जब से बाबा साहब ने इस पत्र की शुरुआत की तब से लेकर आज तक ऐसे बहुत से नायक हमारे बीच हुए, जिन्होंने अपनी मूकता को तोड़ते हुए बेजुबानों की आवाज हुए। 31 जनवरी 1920 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक इन सौ वर्षों के इतिहास में देश ने बहुत सारे दुरभिसंधियों को तोड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘मूकनायक के प्रथम अंक में आंबेडकर ने संत तुकाराम की कविताएं छापी थीं, तब से लेकर आज तक साहित्य में ऐसे अनेक मूकनायकों को साहित्य का नायक स्वीकार कर उनके भीतर कड़े तेवर भी भरे हैं। सौ साल में सौ फीसदी में नब्बे फीसदी शोषित जनता ने आज बहुत सारे संसाधनों में अपनी उस्थिति दर्ज कराई है। दस फीसदी शोषकों का वर्चस्व इस मूकनायक ने तोड़ने का काम किया है।’

प्रफेसर चौथीराम ने कहा, ‘मूकनायक ने नब्बे फीसदी शोषितों की आवाज बनकर जो जनजागरण का संदेश दिया है, आज उसकी बहुमूल्य उपादेयता फिर से स्मरण हो आई है। वह भी इसलिए कि स्वतंत्र भारत में आज जिस तरीके से शोषितों की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्हें फिर से मूकनायक की स्थिति में धकेला जा रहा है, वह बहुत ही शर्मनाक और घृणित है।संसाधनों में बराबर की भागीदारी के लिए मूकनायक से प्रेरणा लेकर एकजुट होने की आवश्यकता है। यही आज के दिन मूकनायक का सबसे बड़ा संदेश होगा और साथ ही बाबासाहब को सच्ची श्रद्धांजलि भी।’

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर प्रफेसर लालचंद प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रफेसर बिंदा परांजपे, डॉक्टर मुक्ता, डॉक्टर संजय श्रीवास्तव,डॉ सुजाता गौतम तथा महेश प्रसाद अहिरवार सहित कई ने कार्यक्रम में विचार व्यक्त किया।

Source: International

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