विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता के उच्च मापदण्ड निर्धारित करने के निर्देश

भोपाल-राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि विकास का सिद्धांत समय अनुसार परिवर्तन ही है। जो समय के साथ नहीं चलेंगे, वे मुख्य-धारा से बाहर हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व में बदलते शैक्षणिक मानकों पर खरे उतरने वाले शिक्षा संस्थान ही भविष्य में अस्तित्व में रह पाएंगे। राज्यपाल ने कहा कि समय की माँग है कि कुलपति शैक्षणिक गुणवत्ता के उच्च मापदण्ड निर्धारित करें। अनुशासन के वातावरण को मजबूत बनायें। स्वायत्तता का उपयोग शैक्षणिक नवाचारों, शोध और संसाधनों को जुटाने में करें। नई शिक्षा नीति के अनुसार नये पाठ्यक्रम शुरू करें। टंडन आज राजभवन में उच्च शिक्षा उन्नयन प्रयासों की श्रंखला में “मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों की नैक ग्रेडिंग का सूत्रपात” कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग के लिए प्रयास करना कुलपतियों का उत्तरदायित्व है। कुलपतियों को शैक्षणिक गुणवत्ता को बेहतर बनाने, समय अनुसार नये प्रयोग और शोध करने, रिक्त पदों की पूर्ति, शैक्षणिक कैलेण्डर लागू करने, विद्यार्थियों को रोजगारपरक उच्चतम ज्ञान देने और बुनियादी सुविधाएँ जुटाने के लिए जवाबदारी के साथ कठोर और नवाचारी कार्य करने होंगे। राज्यपाल ने कहा कि कर्मठ कुलपतियों को भरपूर संरक्षण और सहयोग मिलेगा। स्व-प्रेरणा और परिणाम के अभाव में कुलपतियों की जिम्मेदारी भी निर्धारित की जाएगी।
लालजी टंडन ने कहा कि जो बीत गया, उसे भूलकर नये जोश के साथ उज्जवल भविष्य के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि सरकार का बजट सीमित होता है। अनेक योजनाओं में अनुदान की राशि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास उपलब्ध है। आवश्यकता मानक प्रस्ताव तैयार कर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने की है। उन्होंने कहा कि शोध कार्य द्वारा भी संसाधन जुटा सकते हैं। टंडन ने कहा कि सूचना क्रांति के इस युग में उच्च स्तरीय ज्ञान का प्रसार भी आय का माध्यम बन गया है। विद्वतापूर्ण व्याख्यान विचार और शोध को दुनिया में प्रसारित किया जा सकता है। कौशल उन्नयन, उद्यमिता आधारित पाठ्यक्रम का संचालन भी महत्वपूर्ण संसाधन है। प्रदेश के एक निजी विश्वविद्यालय ने अटल इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना कर इस दिशा में प्रयास किया है। उनका सहयोगी निजी क्षेत्र का संस्थान 1000 करोड़ रूपए का वेंचर फण्ड भी उपलब्ध करा रहा है।

राज्यपाल टंडन ने कहा कि भारत महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। इसलिए युवा शक्ति को गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध कराने का दायित्व विश्वविद्यालयों का है। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के साथ यह भी याद रखें कि हम अपनी जड़ों से दूर न हो जायें। शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति के आधार पर ही प्राचीन भारत को जगतगुरू कहा जाता था। करीब आधी दुनिया हजारों वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में भारत के योगदान को स्वीकारती है। ऐसे भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में युवा पीढ़ी को अवगत कराने का प्रयास करें। इससे राष्ट्रीय स्वाभिमान जागृत होगा और देश के अनुरूप शिक्षण पद्धति विकसित होगी। राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में नैक उदारता,सुधारता और पात्रता के फार्मूले का पालन कर विश्वविद्यालयों को नैक ग्रेडिंग के लिए मार्गदर्शन देगी। उन्होंने कुलपतियों से कहा कि नैक की ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए शैक्षणिक वातावरण और व्यापक चिंतन जरूरी है।

नैक के चेयरमैन बी.एस. चौहान ने कहा कि शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए समय चक्र तय कर कार्य-योजना बनाई जाये। उच्च शिक्षा में रातों-रात परिवर्तन नहीं हो सकता। शिक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखकर उनके समाधान के प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया, तो कुछ ही वर्षों में उच्च शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप बदल जाएगा। संसाधनों की उपलब्धता बढ़ जाएगी। कुलपतियों की संख्या दोगुनी हो जायेगी। आवश्यकता प्रयासों के प्रति निष्ठावान और संकल्पित होने की है।

प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा हरिरंजन राव ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में स्वायत्तता बढ़ रही है। शिक्षण संस्थाओं की जवाबदारी भी बढ़ेगी। शिक्षण व्यवस्था और शैक्षणिक वातावरण के प्रति समाज में घटते विश्वास की चुनौती का समाधान वर्तमान समय की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कुलपति यदि चुनौतियों का सामना सूचना प्रौद्योगिकी और नवाचारों के साथ करेंगें, तो निश्चय ही विश्वविद्यालय का भविष्य उज्जवल होगा। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों में बेहतर परिणाम देना ही सच्ची राष्ट्र सेवा है।

कार्यशाला में प्रथम तकनीकी सत्र को नैक के चेयरमेन प्रो. वी.एस. चौहान और डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के कुलपति प्रो. आर.पी. तिवारी ने संबोधित किया। दूसरे सत्र में कुलपतियों के सात समूहों का गठन किया गया। सात विषयों पर समूहों द्वारा विचार-विमर्श कर राज्यपाल को कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *