वाराणसी के बाद आजमगढ़ में भी पकड़ा गया एक अफगानी नागरिक

आजमगढ़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध रूप से रह रहे एक अफगानी नागरिक के पकड़े जाने के बाद ने भी एक अफगानी नागरिक को सोमवार को गिरफ्तार किया है। अफगानी नागरिक यहां फर्जी नाम और पते के जरिए पहचान पत्र और पासपोर्ट बनवाने के जुगाड़ में था।

एसपी प्रफेसर त्रिवेणी सिंह ने बताया अफगानी युवक की पहचान किरामत उल्ला अहमद जई पुत्र बाज मोहम्मद अहमद जई के तौर पर की गई है। वह लोगर सेंटर जिला कोलेआलम प्रोविन्स लोगर अफगानिस्तान का निवासी है। उसने मोहम्मद ताहिर आलम पुत्र मोबीनुद्दीन निवासी आजमगढ़ जिले के फूलपुर थाना के चमरडीह गांव के फर्जी नाम पते से फर्जी वोटर कार्ड, निर्वाचन कार्ड बनवाया। अब वह भारतीय पासपोर्ट बनवाने के बाद वीजा लेने के लिए प्रयासरत था। उसको गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके पास से फर्जी निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, नोटरी शपथ पत्र, एक अफगानिस्तान पासपोर्ट की फोटो प्रति तथा एक भारत गणराज्य के पासपोर्ट की छाया प्रति तथा एक मोबाइल बरामद किया गया है। इसके बाद फूलपुर थाने में मुकदमा दर्ज करके जेल भेज दिया गया है।

गिरफ्तार किरामत उल्ला ने बताया, ‘हमारे मददगार साहबे आलम ने मुझे तथा मेरे एक साथी आबिद अब्दुला को इंडिया के पते से पासपोर्ट बनवाने हेतु बुलवाया था। साहबे आलम ने मेरे साथी आबिद अब्दुल्ला का आधार कार्ड और वोटर कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, नोटरी आदि फर्जी रूप से निजामाबाद तहसील के पास एक दुकान से बनवाया था। उसमें मेरा नाम मोहम्मद ताहिर आलम पुत्र मबीनुद्दीन निवासी ग्राम चमराडीह थाना फूलपुर जनपद आजमगढ़ के नाम से मेरा फोटो लगाकर मेरी सहमति से ग्राम पंचायत चमराडीह का निवास प्रमाण पत्र आधार कार्ड तथा नोटरी शपथ पत्र बनवाकर आवेदन कराकर मेरा पासपोर्ट बनवा दिया है। उसको फूलपुर बाजार में एक दुकान पर साहबे आलम ने वीजा बनवाने के लिए दे रखा है। वीजा लेने के चक्कर में कोलकाता से सोमवार को हम चमराडीह में साहबे आलम के घर गए, जहां मुझे और मेरे साथी आबिद अब्दुल्लाह को पुलिस ने पकड़ लिया।

यूएई तथा कुवैत जाने के लिए धोखाधड़ी
उसने बताया, ‘इस काम के लिए मैंने साहबे आलम को 25 हजार रुपये तथा मेरे साथी आबिद अब्दुल्ला ने 20 हजार रुपए दिया क्योंकि अफगानिस्तान से बाहर यूएई, कुवैत आदि देशों में जाने हेतु पासपोर्ट और वीजा नहीं बनता है। इसलिए मैं तीन-चार महीने से साहबे आलम के संपर्क में आकर शाहगंज में करीब दो महीना तथा कलकत्ता में करीब एक महीना किराए का कमरा लेकर रह रहा था।

Source: International

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