असम: पेंडिंग पड़े नागरिकता के 12 हजार केस

गुवाहाटी
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी () लाए जाने के बाद लाखों नागरिक अधर में लटक गए। दरअसल, साबित ना कर पाने के चलते इन लोगों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को लोकसभा में बताया गया कि असम में (फॉरन ट्राइब्यूनल) को 12 हजार से ज्यादा केस ट्रांसफर किए गए हैं। कोर्ट को यह तय करना है कि ये ‘संदिग्ध’ अवैध नागरिक हैं या नहीं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि लगभग 1,400 लोगों को पिछले तीन सालों में डिटेंशन सेंटरों में भी रखा गया है।

लोकसभा की कार्यवाही के दौरान गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया, ‘फिलहाल 1,381 लोग ऐसे हैं, जिन्हें असम के डिटेंशन सेंटरों में रखा गया है।’ एक सवाल के जवाब में नित्यानंद राय ने बताया कि असम सरकार के मुताबिक, 2017 में 9,457 केस, 2018 में 2051 केस और 2019 में (नवंबर तक) 599 केस विदेश अधिकरण को ट्रांसफर किए जा चुके थे।

3 सालों में 761 लोग डिटेंशन सेंटर से छोड़े गए
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि असम में डिटेंशन सेंटर में रखे गए लोगों के बारे में राज्य सरकार ने जानकारी दी है। इस जानकारी के मुताबिक, पिछले तीन सालों में विदेश अधिकरण द्वारा विदेशी करार दिए जाने के बाद गोलपाड़ा में 209, कोकराझार में 105, सिलचर में 79, तेजपुर में 661, जोरहाट में 286 और डिब्रूगढ़ में 41 लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन सालों में कुल 761 लोगों को डिटेंशन सेंटरों से छोड़ा भी जा चुका है।

Source: National

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