राम मंदिर ट्रस्ट का ऐलान, मुस्लिम पक्ष ने उठाए टाइमिंग पर सवाल

लखनऊ/अयोध्या
अयोध्या में के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के गठन को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही कुछ मुस्लिम नेताओं ने ट्रस्ट के गठन की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं।
एनबीटी ऑनलाइन ने मुस्लिम समुदाय से आने वाले प्रमुख लोगों से बात की। इस पर कुछ मुस्लिम नेताओं ने कहा है कि यह फैसला दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले या बाद में भी लिया जा सकता है। उधर, शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि हमारी जमीन जो कि सुन्नियों के हक में गई, यदि वह हमें मिली होती तो दूसरा राम मंदिर निर्माण भी कराया जाता।

वसीम रिज़वी कहते हैं, ‘सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। निर्माण में काफी देरी हो चुकी है। बहरहाल, अब यह कार्य शुरू हो जाएगा। जिस तरह से अदालत का फैसला आया, उसे सही वक्त पर सरकार द्वारा अमलीजामा पहना दिया गया है। इसमें सिर्फ एक चीज यह हुई है कि मीरबाकी जो शिया था, उसकी जमीन जो कि सुन्नियों को दी गई है, इसके लिए शिया समाज जिम्मेदार है। शिया वक्फ बोर्ड और शिया समाज ने सही वक्त पर अपनी बात कोर्ट में नहीं रखी थी। जब तक हमने अपनी बात अदालत में रखी तबतक 71 साल की देरी हो चुकी थी। यदि वह जमीन शिया वक्फ बोर्ड को ही मिली होती तो हम अयोध्या में दूसरा राम मंदिर निर्माण भी कराते।’

दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त फैसला
ऑल इंडिया शिया चांद कमिटी के प्रेजिडेंट मौलाना सैफ अब्बास कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सबकुछ किया गया है। इसमें हम ट्रस्ट के लिए सभी को गुडलक कहेंगे। ट्रस्ट में जितने लोग हैं, उनमें असंतोष है। इसके अलावा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान कर दिया है। यदि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद इसकी घोषणा करते तो ज्यादा बेहतर होता। आज सब यही कह रहे हैं कि दिल्ली के चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए पीएम मोदी ने ऐसा किया है।’ के गठन की टाइमिंग पर सवाल AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी उठाया है।

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इकबाल अंसारी बोले- जल्द हो निर्माण
उधर, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने मुस्लिम वर्ग द्वारा ट्रस्ट के गठन की टाइमिंग पर सवालों को लेकर कहा कि हमारे यहां इतने राज्य हैं कि हर वक्त चुनाव होना लाजमी है। ऐसे में ट्रस्ट के गठन के वक्त को लेकर तो कोई सवाल ही नहीं बनता है। दूसरी चीज यह कि मंदिर के लिए ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है अब जल्द से जल्द निर्माण कार्य होना चाहिए। दरअसल, निर्माण कार्य में जितनी देरी होगी उतना अधिक राजनीति बढ़ेगी जो कि सही नहीं है।’

‘बोर्ड जमीन ले तो मुसलमानों का फैसला नहीं’ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने मंत्रिमंडल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बोर्ड, उससे जुड़ी प्रमुख तंजीमों और लगभग सभी मुसलमानों का फैसला है कि हम अयोध्या में मस्जिद के बदले कोई और जमीन नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। बोर्ड अगर जमीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिए।

‘बस अमन कायम रहना चाहिए’ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को वह जमीन देने का आदेश दिया है। जमीन लेने या न लेने के बारे में उसे ही निर्णय लेना है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड जो भी फैसला ले उससे अमन कायम रहे। अब मजहब के नाम पर फसाद नहीं होना चाहिए। सियासी लोग फसाद कराते हैं। हालांकि, अब्बास ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद के मामले पर शिया बोर्ड अब भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है।

Source: International

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