मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल ने सीएए के खिलाफ पारित किया शासकीय संकल्प

भोपाल, पांच जनवरी (भाषा) केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 के खिलाफ एक शासकीय संकल्प पारित किया। प्रदेश सरकार ने इस नए कानून को संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ बताते हुए भारत सरकार से इसके निरस्तीकरण की मांग की। प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में ‘सीएए 2019’ के खिलाफ शासकीय संकल्प पारित किया गया क्योंकि यह भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है और लोगों को धर्म के आधार पर बांटता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस संकल्प में कहा गया है कि पंथ निरपेक्षता भारत के संविधान की आधारभूत अवधारणा है, जिसे बदला नहीं जा सकता। संविधान की उद्देश्यिका में यह स्पष्ट रुप से उल्लिखित है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है। साथ ही संविधान का अनुच्छेद 14 देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों के समानता के अधिकार और कानून के तहत समानता की गारंटी प्रदान करता है।’’ पारित संकल्प में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए 2019) जिसे दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया, यह संविधान में उल्लिखित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरुप नहीं है। इससे देश का पंथनिरपेक्ष स्वरुप एवं सहिष्णुता का तानाबाना खतरे में पड़ जाएगा।’’ संकल्प में कहा गया है, ‘‘‘सीएए 2019’ में ऐसे प्रावधान हैं जो लोगों की समझ से परे है, साथ ही जनमानस में आशंका को जन्म देते हैं। परिणामास्वरुप देशभर में इस कानून का व्यापक विरोध हो रहा है।’’ संकल्प के अनुसार, ‘‘संविधान के मौलिक स्वरुप एवं मंशा के अनुरूप धर्म के आधार पर किसी भी तरह के विभेद से बचने के लिए एवं भारत में समस्त पंथ समूहों के लिए कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के इरादे से मध्यप्रदेश शासन भारत सरकार से ‘सीएए 2019’ को निरस्त करने का आग्रह करता है।’’ शर्मा ने बताया कि संकल्प में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के मुद्दे पर लोगों से मांगी जा रही जानकारी को वापस लेने की मांग की गई है और उसके बाद ही एनपीआर के तहत जनगणना करवाने की बात कही गई है। मंत्री ने बताया कि सीएए के मुद्दे पर प्रदेश विधानसभा में भी एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

Source: Madhyapradesh

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