पंत ही नहीं, धोनी की वापसी पर भी लगा ग्रहण!

नई दिल्लीकर्नाटक के दिग्गज बल्लेबाज गजब के फॉर्म में पिछले 10 इंटरनैशनल मैचों में 5 हाफ सेंचुरी लगा चुके हैं। इसमें 4 वनडे और 6 टी-20 इंटरनैशनल शामिल हैं। उनकी फॉर्म और बेहतरीन विकेटकीपिंग को देखते हुए इस बात पर चर्चा होने लगी है कि कप्तान विराट कोहली को इसी कॉम्बिनेशन के साथ चलना चाहिए। इसका सीधा मतलब है कि अगर ऐसा होता है (जो होता दिख रहा है) तो शायद ही या कोई अन्य लिमिटेड ओवरों में दस्ताना थामे नजर आए।

देखा जाए तो केएल राहुल की फॉर्म सिर्फ युवा विकेटकीपर ऋषभ पंत की ही वापसी पर ग्रहण नहीं लगाता, बल्कि पूर्व कप्तान के लिए भी कमबैक करना आसान नहीं होगा। बोर्ड जहां धोनी को नैशनल कॉन्ट्रैक्ट से पहले ही बाहर चुका है तो टीम मैनेजमेंट की ओर से धोनी की वापसी पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आती है। अक्सर पूर्व खिलाड़ी यह भी कहते हैं दिखते हैं कि धोनी को अगर वापसी करनी है तो उन्हें जल्दी फैसला करना चाहिए।

पिछले 10 इंटरनैशनल मैचों में केएल राहुल का प्रदर्शन

प्रदर्शन (रन, कैच और स्टंपिंग) बनाम कब कहां फॉर्मेट (इंटरनैशनल)
88*, 0c/1s vs न्यू जीलैंड 5 फरवरी, 2020 हैमिल्टन वनडे
45, 1c/0s vs न्यू जीलैंड 2 फरवरी, 2020 माउंट माउंगानुई टी-20
39, 1c/0s vs न्यू जीलैंड 31 जनवरी, 2020 वेलिंग्टन टी-20
27, 1c/1s vs न्यू जीलैंड 29 जनवरी, 2020 हैमिल्टन टी-20
57*, 0c/0s vs न्यू जीलैंड 26 जनवरी, 2020 ऑकलैंड टी-20
56, 0c/0s vs न्यू जीलैंड 24 जनवरी, 2020 ऑकलैंड टी-20
19, 2c/0s vs ऑस्ट्रेलिया 19 जनवरी, 2020 बेंगलुरु वनडे
80, 2c/1s vs ऑस्ट्रेलिया 17 जनवरी, 2020 राजकोट वनडे
47 (सिर्फ बैटिंग) vs ऑस्ट्रेलिया 14 जनवरी, 2020 मुंबई वनडे
54 (सिर्फ बैटिंग) vs श्रीलंका 10 जनवरी, 2020 पुणे टी-20

धोनी वर्ल्ड कप के बाद से हैं बाहरएमएस धोनी ने अपना आखिरी इंटरनैशनल मैच इंग्लैंड में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप-2019 के सेमीफाइनल में खेला था। इस मैच में भारत को न्यू जीलैंड से हार मिली थी और धोनी उसके बाद अपने बैटिंग क्रम सहित कई बातों को लेकर आलोचकों के निशाने पर आ गए थे। उम्मीद की जा रही थी कि वह इस महासमर के बाद क्रिकेट को अलविदा कह देंगे, लेकिन पूर्व कप्तान ने ऐसा कोई फैसला नहीं किया। इसके उलट उन्होंने खुद को क्रिकेट से दूर रखने का फैसला किया और समय का इंतजार करने को कहा। हालांकि, धोनी तो धोनी ही हैं, अगर वह खुद को टीम के लिए उपलब्ध बताते हैं तो शायद ही कोई उनकी वापसी पर सवाल उठा सके।

पंत नहीं भुना पाए धोनी का स्थानखैर, धोनी जब बाहर थे तो उनके रिप्सेमेंट के तौर पर ऋषभ पंत को टीम में लाया गया। कुछ अहम मौकों पर जब वह असफल रहे तो कोच रवि शास्त्री, कप्तान विराट कोहली और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली और खुद पंत ने यह कहते हुए बचाव किया कि धोनी जैसा फिनिशर को रातभर में नहीं बन जाता। हालांकि, पंत जब लगातार फ्लॉ रहे और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुंबई वनडे में पंत को हेल्मेट पर गेंद लगी और मैच में केएल राहुल ने विकेटकीपिंग संभाली। यह विराट कोहली के लिए ‘तुरुप का इक्का’ साबित हुआ। इसके बाद से विराट ने इसे आइडिया के रूप में इस्तेमाल किया और उन्हें मौजूदा टीम में राहुल द्रविड़ जैसी भूमिका अदा करने की बात कही।

स्ट्रैटिजी में भी सफलताटीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने अपनी नई स्ट्रैटिजी के तहत एक बार फिर विकेटकीपिंग के लिए ऋषभ पंत पर केएल राहुल की तरजीह दी, जिसकी वजह से उन्हें एक अतिरिक्त बल्लेबाज को एकादश में शामिल करने का मौका मिला। मुकाबले में बल्लेबाजी में गहराई लाने की विराट की रणनीति काम कर गई। टी-20 इंटरनैशनल में न्यू जीलैंड के खिलाफ मनीष पांडे के रूप में अतिरिक्त बल्लेबाज होने का भारत को फायदा भी मिला। लोकेश राहुल विकेट के पीछे भी प्रभावी हैं तो किसी के पास उनकी या कप्तान कोहली की स्ट्रैट्जी की आलोचना करने का मौका भी नहीं है।

खराब फॉर्म से जूझ रहे पंतपंत के टी-20 इंटरनैशनल क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने कुल 28 मैच खेले हैं और 25 पारियों में 410 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके नाम दो अर्धशतक है, जबकि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नाबाद 65 रन है। यह उन्होंने 6 अगस्त, 2019 को वेस्ट इंडीज के खिलाफ बनाया था। इसके बाद से वह कोई भी पचासा नहीं जड़ से हैं। उन्होंने 8 पारियों में क्रमश: 4, 19, 27, 6, 18, 33*, 0 और 1* रन बनाए हैं, जो कतई प्रभावित नहीं करता। अब बात करते हैं वनडे की। पंत ने 16 वनडे खेले हैं और कुल 374 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके नाम एक अर्धशतक है, जो उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 15 दिसंबर, 2019 को चेन्नै में बनाया था। उस 71 रन से पहले और बाद में उनके नाम कोई बड़ी पारी नहीं है।

विकेटकीपिंग पर भी सवालऋषभ पंत की सबसे बड़ी यूएसपी उनकी विस्फोटक बैटिंग रही है। वह चौके-छक्के की बौछार के लिए जाने जाते हैं। उन्हें एमएस धोनी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा था। बावजूद इसके विकेटकीपिंग में उनका प्रदर्शन हमेशा से सवालों में रहा। वह कई अहम मौके गंवाते दिखे। विराट कोहली ऐंड कंपनी को उम्मीद थी कि वह बैटिंग टेस्ट क्रिकेट इतना प्रभावी प्रदर्शन वनडे और टी-20 में भी करेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यही उनके बाहर होने की सबसे बड़ी वजह बनी।

Source: Sports

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