हाल ही में अनिल ने हमारे सहयोगी टीओआई से बातचीत में कहा कि उनके पास ऑडियंस के लिए सरप्राइज है। यही नहीं, उन्होंने दर्शकों और फिल्ममेकर्स के बीच अपनी लोकप्रियता पर बात की। ऐक्टर ने यह भी बताया कि उन्हें किसी भी तरह के टैग की इच्छा नहीं होती है।
हो जाता हूं इमोशनलऐक्टर के मुताबिक, ‘स्क्रीन पर कैरक्टर्स को दिखाने के दौरान दूसरे ऐक्टर्स की तरह मैं भी इमोशनल हो जाता हूं। करियर के पहले दशक में मैं उतना काम करना चाहता था, जितना मैं कर सकता था। दूसरे दशक में मैंने कोशिश की कि मैं बेस्ट फिल्मों में काम कर सकूं। तीसरे दशक में मैंने लंबी उम्र को मेनटेन करने की कोशिश की। मैं समय के हिसाब से ढलने पर फोकस कर रहा था और कोशिश कर रहा था कि युवा फिल्ममेकर्स मेरी वर्सटैलिटी को नोटिस करें। चौथे दशक में मैं ट्रांजिशन मोड में चला गया तो ऐसा नहीं था कि ब्रेक लेने का ख्याल मेरे मन में नहीं आया, बस मेरे पास एक्साटिंग ऑफिर्स आते रहे और मैं फिल्में करता रहा।’
बच्चों की तरह मैं समझदार नहीं
यह पूछने पर कि सोनम तो अपनी फिल्मों की चॉइस को लेकर समझदार रही हैं, क्या आप भी उनकी तरह समझदार हैं, इस सवाल के जवाब में ऐक्टर ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि सोनम, रिया और हर्षवर्धन अच्छा चुनाव कर रहे हैं और उस पर अडिग हैं। मैं भी काफी समझदार था लेकिन उनके जैसा नहीं। ऐसा शायद इसलिए क्योंकि मेरे ऊपर फाइनैंशल जिम्मेदारी काफी ज्यादा थी। मेरे बच्चे महत्वाकांक्षी हैं लेकिन करते वहीं हैं जिसमें उनका विश्वास होता है। एक टाइम था जब लोग बोलते थे कि ये बड़ा अपने आप को इंग्लिश ऐक्टर समझता है, इतना ‘रियल’ ऐक्टिंग करता है और अचानकर एक दिन मैं उनके लिए कमर्शल ऐक्टर बना गया। झक्कास हो गया!’
हमेशा कीं कॉन्टेंट बेस्ड फिल्मेंकॉन्टेंट बेस्ड सिनेमा पर बात करते हुए अनिल ने कहा, ‘मैं हमेशा से ऐसी फिल्में करता था। ‘बेटा’, ‘जुदाई’, ‘विरासत’, ‘चमेली की शादी’, ‘ईश्वर’ कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं। मेरे इर्द-गिर्द के लोग मुझे बड़ा स्टार कहते होंगे लेकिन मैंने हमेशा कॉन्टेंट पर ध्यान दिया, सिर्फ स्टारडम पर नहीं। मुझे लगता है कि मेरा फिल्मों में लंबे वक्त तक काम करने का यही कारण है।’
वे फिल्में भी कीं जिनमें ऐक्ट्रेस का कैरक्टर ग्राफ बेटर
अनिल के समकालीन अभिनेता रिटायर हो गए लेकिन वह अब भी इंडस्ट्री में प्रासंगिक बने हुए हैं, इसके जवाब में अनिल कहते हैं, ‘मैं जैसा हूं, उसे फॉलो करता हूं। मैंने वे फिल्में भी की हैं जिनमें ऐक्ट्रेस का कैरक्टर ग्राफ मुझे बेटर रहा है। मैंने ‘ताल’, ‘बीवी नं. 1’ और ‘स्लमडॉग मिलेनेअर’ जैसी फिल्में कीं जिनमें मैं लीड रोल में नहीं था। मैंने ये फिल्में कीं क्योंकि वे कहते हैं कि ‘स्मॉल पार्ट नहीं होता, सिर्फ स्मॉल ऐक्टर्स होते हैं।’ मैं फिल्ममेकर्स से कहता हूं कि आप मुझे दो अच्छे सीन्स दीजिए और मैं करूंगा लेकिन मुझे सिर्फ इसलिए मत इस्तेमाल कीजिए क्योंकि मैं अनिल कपूर हूं। मुझे याद है कि फरहान अख्तर मेरे पास ‘डॉन’ लेकर आए थे। मैंने उनसे कहा था कि मुझे उस फिल्म में डॉन का किरदार निभाने में कोई दिक्कत नहीं है जिसमें शाहरुख खान लीड रोल में हैं। मैंने कई बार दोस्ती के लिए फिल्में की हैं।’
हर दशक में चेंज होता है मेरा टैगआप एक वक्त सुपरस्टार कहे जाते थे और अब आपको एवरग्रीन कहा जाता है। आज जब हम बॉलिवुड में सुपरस्टार्स की बात करते हैं तो कुछ ही नाम इस लिस्ट में आते हैं, इस बात के जवाब ‘मलंग’ ऐक्टर ने कहा, ‘हर दशक में मेरा टैग चेंज होता रहता है। सबसे पहले कहा गया कि ये ऐक्टर है, स्टार नहीं। बाद में कहा गया कि यह सिर्फ स्टार नहीं बल्कि सुपरस्टार है। फिर लोगों ने कहा कि इसने बच्चन को रिप्लेस करने की कोशिश की लेकिन नहीं कर पाया। अब मुझे फिटनेस और अच्छी हेल्थ का टैग दिया जाता है। हालांकि, जो टैग मेरा फेवरिट है, वह डायरेक्टर्स द्वारा दिया गया है जो कि ‘गिरगिट’ है। मैं प्रयास करूंगा कि यह टैग मेरे साथ रहे।’
Source: Entertainment