आखिरकार भारतीय रेलवे ने भी माना राजेश नहीं, ये है सोनिया!

प्रेमदेव शर्मा, मेरठ
परिवार ने तो 4 बेटियों में अपने इकलौते बेटे के कर नारी होना स्वीकार कर लिया था। सबकी नजर रेलवे बोर्ड के फैसले पर टिकी थी। लंबी जद्दोजहद के बाद रेलवे ने आखिरकार अपने रिकॉर्ड में राजेश पांडे को महिला मान लिया। मुख्य कारखाना प्रबंधक इज्जतनगर की तरफ से कार्मिक विभाग को लिखे पत्र के मुताबिक सेक्स चेंज करने वाले राजेश का नाम रेलवे के पास और मेडिकल कार्ड में भी बतौर महिला दर्ज हो गया है।

कुछ दिनों में राजेश की जगह उनका सोनिया नाम भी कर दिया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक रेलवे ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर जेंडर डिस्फोरिया यानी एक लिंग से दूसरे लिंग की चाह के तहत महिला की पहचान दी है। रेलवे के इतिहास में यह पहली घटना है।

सेक्स चेंज के बाद भी यह दर्द
दरअसल, सेक्स चेंज कराने वाले राजेश उर्फ सोनिया बरेली के इज्जतनगर रेल मंडल के मुख्य कारखाना प्रबंधक कार्यालय में तकनीकी ग्रेड 1 के पद पर काम करते हैं। पिता और बड़े भाई की मौत के बाद अनुकंपा पर 19 मार्च 2003 को उन्हें नौकरी मिली थी। परिवार में चार बहनें और मां हैं। साल 2017 में अपनी पत्नी से तलाक लेकर राजेश ने अपना सेक्स चेंज करा लिया और अपना नाम बदलकर सोनिया पांडे रख लिया। इसके बाद उनके सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया।

आधार कार्ड में नाम और सेक्स चेंज होने के बावजूद रेलवे के दस्तावेजों में पहचान नहीं बदली। इसके बाद राजेश उर्फ सोनिया ने इज्जतनगर स्थित अपने ऑफिस में नाम और सेक्स बदलने के लिए आवेदन किया था। वहां अफसरों ने उन्हें महाप्रबंधक पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर के सामने आवेदन करने की सलाह दी। अगस्त 2018 में पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय में फाइल भेजी गई थी। काफी मशक्कत के बाद रेलवे बोर्ड ने मेडिकल जांच के आदेश दिए। इसके बाद इज्जतनगर स्थित रेलवे अस्पताल में उनका मेडिकल टेस्ट कराया गया। इसके बाद मुख्यालय को मेडिकल रिपोर्ट भेजी गई थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर रेलवे ने राजेश को महिला माना।

यूं आया जीवन में बदलाव
राजेश उर्फ सोनिया ने बताया कि टीनेज में ही शरीर में बदलाव झलकने लगा। मन में महिलाओं जैसे ख्याल आने लगे। शरीर और मन पुरुष होना स्वीकार नहीं कर पा रहा था। परिवार को अपनी समस्या बताई तो वे गुस्सा करने लगे। इसके बाद उनकी शादी कर दी गई। लेकिन मन पुरुष होने को तैयार नहीं था। परिवार के लोगों को समझाया। फिर सहमति से पत्नी से तलाक ले लिया। इसके बाद साल 2017 में उन्होंने सर्जरी कराकर अपना सेक्स चेंज करा लिया। बाद में परिवार ने भी मेरे इस नए रूप को स्वीकार कर लिया।

नारी चेहरा और पुरुष पहचानपत्र से दिक्कत
सेक्स चेंज की वजह बताते हुए राजेश उर्फ सोनिया ने बताया कि यात्रा के दौरान पुरुष पहचानपत्र और स्त्री का चेहरा होने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था। अन्य जगहों पर भी पहचान को लेकर वे परेशानी में पड़ जाते थे। यही वजह है कि सर्विस रिकॉर्ड में नाम बदलने के लिए उन्होंने आवेदन किया था।

क्या है जेंडर डिस्फोरिया?
मेरठ के न्यूरो साइकेटिस्ट डॉ. सम्यक जैन ने बताया कि जेंडर डायसोफोरिया का मतलब है एक लड़का, लड़की की तरह और एक लड़की, लड़के की तरह जीना चाहती है। मतलब वे अपोजिट सेक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं। कई पुरुषों में बचपन से ही महिलाओं जैसी और कई महिलाओं में पुरुषों जैसी आदतें होती हैं।

यह लक्षण 10-12 साल से दिखना शुरू हो जाते हैं। जैसे कोई पुरुष है तो वह महिलाओं जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, महिलाओं की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा। ऐसा ही महिलाओं के साथ होता है, जिसमें वे पुरुष की तरह जीना चाहती हैं। ऐसी स्थिति में इन लोगों को सेक्स चेंज करना होता है।

Source: International

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