'पहला गिरमिटिया'…नहीं रहे गिरिराज किशोर

कानपुर
मशहूर साहित्यकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित गिरिराज किशोर का रविवार सुबह उनके निवास पर निधन हो गया। मूलरूप से मुजफ्फरनगर निवासी गिरिराज किशोर लंबे समय से कानपुर में रह रहे थे। वह 83 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक छा गया। गिरिराज किशोर हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ कथाकार, नाटककार और आलोचक भी थे।

गिरिराज किशोर का उपन्यास ‘पहला गिरमिटिया’ काफी प्रसिद्ध हुआ था, जो महात्मा गांधी के अफ्रीका दौरे पर आधारित था। इस उपन्यास ने इन्हें विशेष पहचान दिलाई थी। गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 में यूपी के मुजफ्फरनगर में हुआ था, उन्होंने सोशल वर्क में मास्टर किया था। उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2007 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कस्तूरबा गांधी पर ‘बा’ उपन्यास लिखा
महात्मा गांधी के बाद गिरिराज किशोर ने कस्तूरबा गांधी पर आधारित उपन्यास ‘बा’ लिखा था। इसमें उन्होंने गांधी जैसे व्यक्तित्व की पत्नी के रूप में एक स्त्री का स्वयं और साथ ही देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ा दोहरे संघर्ष के बारे में बताया था। वह साहित्यकार होने के साथ-साथ आईआईटी कानपुर के कुलसचिव भी रह चुके हैं।

आईआईटी कानपुर में ही उन्होंने 1983 से 1997 के बीच रचनात्मक लेखन केंद्र की स्थापना की और उसके अध्यक्ष रहे। जुलाई 1997 में वह रिटायर हो गए। इस दौरान भी उनका अपना लेखन कार्य और महात्मा गांधी पर रिसर्च जारी रखा।

Source: National

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