बरेली के झुमके पर सियासत शुरू, बीजेपी विधायक का तंज- अब 'बर्फी' चौराहा भी बनाएंगे?

प्रेमदेव शर्मा, मेरठ
उत्‍तर प्रदेश के बरेली में झुमका तिराहा बनाने को लेकर सियासत शुरू हो गई है। राज्‍य सरकार की तरफ से झुमके को बरेली की पहचान के तौर पर स्थापित करने के खिलाफ बीजेपी के विधायक ने ही मोर्चा खोल दिया है। फरीदपुर विधायक डॉ. श्याम बिहारी लाल का कहना है कि गौरवशाली शहर बरेली की पहचान बताने के लिए झुमका ही मिला? डॉ. बिहारी ने जीरो पॉइंट पर झुमका लगाने को लेकर तीखी नाराजगी जताते हुए इसे संस्कृति के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि झुमका को बरेली की पहचान बताना सांस्कृतिक रूप से दिवालिया होने जैसा है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि ‘बरेली की बर्फी’ फिल्म में बरेली जुड़ा हुआ है तो क्या अब बर्फी चौराहा भी बनाया जाएगा।

विधायक ने कुछ नेताओं पर कटाक्ष करते हुए अपनी पोस्ट में लिखा है कि शिव नगरी या नाथ नगरी का नाम लेने पर उन्हें डर लगता है। उन्होंने लिखा है कि पहचान ही बनाना था तो बरेली के अहिच्छत्र से प्राप्त गंगा जमुना और कुबेर की मूर्तियों को बनवाया होता। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बरेली का महान योगदान था।

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‘ये क्यों नहीं बनीं पहचानें?’
अपनी पोस्‍ट में डॉ. बिहारी ने आगे लिखा है कि बहादुर शाह जफर की सरकार के रिसालो और इश्ताहरी की बरेली में छपाई होती थी। किले पर पुराना पुल मुगलों के समय का है। इनको पहचान क्यों नहीं बनाया? उन्होंने लिखा है कि देश की धोलावीरा, कौशांबी, श्रावस्ती जैसे बरेली क्षेत्र को विकसित कराने की बात की होती तो बरेली का नाम दुनिया में जाना जाता। यहां देश का प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल भी है। अहिच्छत्र, रुहेलखंड और अब बरेली। द्वापर में पांडवों और पांचाली से शुरू होकर रोहिला सरदारों से ब्रिटिश हुकूमत तक शहर ने इतिहास का हर दौर देखा है।

जारी है झुमका तिराहे का विरोध
गौरतलब है कि करीब 5 दशक पहले अभिनेत्री साधना पर एक गाना ‘झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में’ फिल्माया गया था। शनिवार को बरेली के जीरो पॉइंट पर झुमके का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने किया था। अब यह चौराहा झुमका तिराहे के नाम से जाना जाएगा, लेकिन इसके साथ ही विरोध भी शुरू हो गया। बीजेपी विधायक के फेसबुक पर आलोचना से पहले बरेली के मेयर ने भी विरोध जताया था। झुमका कार्यक्रम में मेयर डॉ. उमेश गौतम ने दूरी बनाए रखी। निगम अधिकारी और पार्षद भी शामिल नहीं हुए। मौलाना तौकीर ने शहीद के नाम से तिराहे का नाम रखने की मांग की है।

Source: International

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