अगर कोई शख्स अंतिम सांसें ले रहा है तो उसे अपने पास आधार कार्ड रखना सुनिश्चित करना चाहिए। ‘आत्मा की शांति’ चाहिए तो आधार लेकर आइए! सुनने में शायद ये बातें आपको अजीब लगें लेकिन बेंगलुरु में कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है। यहां बीबीएमपी (बृहत बेंगलुरु महानगरपालिका) के कुछ श्मशान घाट में अंतिम संस्कार से पहले कर्मचारी आधार पेश करने का दबाव डाल रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि यह सब तब हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि केवल सरकारी कल्याण योजनाओं में लाभ लेने के लिए ही आधार को अनिवार्य किया जा सकता है।
पिछले हफ्ते विजयनगर इलाके के राजेश (बदला हुआ नाम) की 75 साल की चाची का निधन हो गया। जब शोक संतप्त परिवार आउटर रिंग रोड पर स्थित सुमनहल्ली श्मशान घाट पर उनके पार्थिव शरीर को लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचा तो उन्हें बड़ा झटका लगा। उन्होंने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया, ‘वहां मौजूद स्टाफ ने कहा कि चिता के लिए जगह ऑनलाइन बुक की जाती है और तुम्हें अपनी चाची का आधार कार्ड वह भी ऑरिजनल पेश करना पड़ेगा।’
राजेश ने आगे बताया, ‘दुख की इस घड़ी में उनकी डिमांड से हम स्तब्ध रह गए। मेरी चाची का आधार कार्ड नहीं मिल रहा था और हमारे पास इसकी फोटोकॉपी भी नहीं थी। हम नजदीक के एक साइबर कैफे में ई-आधार निकालने के लिए गए। लेकिन यहां भी काम नहीं बना क्योंकि आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर वाला सिम किसी वजह से ब्लॉक कर दिया गया था। किसी तरह हम मोबाइल नंबर ऐक्टिवेट करने में सफल रहे और प्रूफ के रूप में ई-आधार लेकर पहुंचे। यह एक पीड़ादायक अनुभव था।’
बेंगलुरु महानगरपालिका 12 विद्युत शवदाह गृह और 46 श्मशान घाट की देखरेख करती है। सुमनहल्ली शवदाह गृह के कर्मचारी ने कहा कि वे आधार मांगते हैं क्योंकि यह हर किसी के पास होता है और हमें लगता है कि यह सबसे भरोसेमंद पहचान पत्र है। जब हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने कुछ शवदाह गृह और श्मशान घाट के कर्मचारियों को फोन किया तो कई स्टाफ वालों ने कहा कि आधार की ऑरिजनल या फोटोकॉपी दोनों से काम चल जाएगा।
वेस्ट जोन के एक शवदाह गृह के कर्मचारी ने कहा, ‘जो लोग अंतिम संस्कार के लिए जगह बुक कराने आते हैं हम उनसे ऑनलाइन बुकिंग के दौरान आधार कार्ड नंबर की जानकारी देने को कहते हैं। इसके साथ ही हम आधार कार्ड की ऑरिजनल कॉपी या फोटोकॉपी दिखाने को कहते हैं।’ हालांकि हेब्बल शवदाह गृह के एक कर्मचारी का कहना है कि वे आधार मांगते हैं लेकिन अगर यह नहीं है तो कोई भी दूसरा आईडी प्रूफ स्वीकार कर लेते हैं। वहीं मल्लाथाहल्ली इलाके के प्रकाश केवी बताते हैं कि शवदाह गृह के कर्मचारी आईडी के रूप में मृतक के आधार कार्ड नंबर की जानकारी देने को कहते हैं।
Source: National