विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि प्रदेशभर के सभी अध्ययन केंद्रों में ट्रान्सजेंडर का विद्यार्थी किसी भी विषय में नि:शुल्क प्रवेश ले सकता है। यह फैसला 6 फरवरी को हुई विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में लिया गया। इसके लिए किन्नरों को अपने जिले से प्रमाणपत्र लाना होगा। उसी के आधार पर प्रवेश मिल जाएगा। हमारे यहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। इसकी पढ़ाई जुलाई सत्र से शुरू हो जाएगी।
आवेदन फॉर्म में अलग कॉलम
कुलपति ने बताया, ‘हमने अपने यहां आवेदन फॉर्म में एक अलग कॉलम बनवा दिया है। महिला, पुरुष के अलावा ट्रांसजेंडर का भी कॉलम होगा। अभी तक किसी भी विश्वविद्यालय की इसमें नजर नहीं गई है, इसलिए यह नया प्रयोग किया जा रहा है। वर्ग समाज और परिवार से उपेक्षित रहता है। वह अपनी पहचान बनाने के लिए मजबूर होता है। किन्नर लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर होते हैं।’
उन्होंने कहा कि आय का कोई साधन न होने के चलते वह आर्थिक रूप से कमजोर रहते हैं। वह चाहकर भी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे में मुक्त विश्वविद्यालय ने किन्नर वर्ग को मुत में पढ़ाने की योजना बनाई और इसको 6 फरवरी को आयोजित कार्य परिषद की बैठक में प्रमुखता से उठाया गया और यह पास हो गया। इसके बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है।
यूनिवर्सिटी की पहल का वेलकम
किन्नरों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था नाज फाउंडेशन के मुखिया आरिफ जाफर ने कहा, ‘किन्नरों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए यह यूनिवर्सिटी की अच्छी पहल है। इसके माध्यम से उन्हें समाज के बहुत से लोगों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। यह एक अच्छा कदम है।’ प्रयाग में किन्नर आर्ट विलेज बनाने वाले कलकार पुनीत ने कहा, ‘शिक्षा सबका अधिकार है। यह विश्वविद्यालय द्वारा अच्छी पहल है। इससे सक्षरता को बढ़ावा मिलेगा। आगे चलकर पढ़े-लिखे ट्रांसजेंडर द्वारा भी कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे समाज का यह तबका आगे बढ़ सके।’
इससे पहले प्रदेश के कुशीनगर में देश के पहले किन्नर विश्वविद्यालय की नींव डॉ. कृष्ण मोहन मिश्र द्वारा रखी गई है। इसमें देश-दुनिया से कहीं के भी किन्नर विद्यार्थियों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा मिलेगी।
Source: International