इंदौर: 2002 गुजरात दंगों के 6 दोषी सामुदायिक सेवा करने पहुंचे, खेती की जताई इच्छा

इंदौर
2002 में गुजरात के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े एक मामले में छह दोषी सामुदायिक सेवा के लिए इंदौर पहुंचे। बता दें कि 23 लोगों के नरसंहार से जुड़े मामले में इन दोषियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इन सभी को सुप्रीम कोर्ट से इस शर्त पर जमानत मिली थी कि उन्हें मध्य प्रदेश में समाज सेवा करनी होगी। दोषियों ने खेती का काम करने की इच्छा जाहिर की है।

सोमवार को दंगों के केस में दोषी दिलीप पटेल (65), जयेंद्र कुमार पटेल (64), प्रवीण पटेल (61), विजय पटेल (51), सूर्यकांत पटेल (50) और धर्मेश पटेल (41) इंदौर पहुंच गए। जिला कानूनी सहायता अधिकारी सुभाष चौधरी ने बताया, ‘ दोषियों ने बताया है कि वे किसान थे और उन्हें खेती के अलावा कोई दूसरा काम नहीं आता है। उनसे खेती करवाने के लिए 5-10 बीघा जमीन लीज पर लेने की तैयारी की जा रही है।’

गुजरात के आणंद जिले के ओड शहर में 23 लोगों के नरसंहार के मामले में कोर्ट ने 15 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। चौधरी का कहना है, ‘दोषी सात साल से जेल में बंद थे। हम यह भी देख रहे हैं कि क्या वे आध्यात्मिक गतिविधियों में भी शामिल किए जा सकते हैं। इसमें मंदिरों और गुरुद्वारों में सामुदायिक सेवा पर भी विचार किया जा रहा है।’ इससे पहले सामुदायिक सेवा के लिए डीएलएसए ने दोषियों को ओल्ड एज होम और अस्पतालों में रोजमर्रा के काम मसलन फर्श साफ करने और लॉन्ड्री में कपड़े धोने के काम में लगाने की तैयारी की थी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय बेंच ने 28 जनवरी को 15 दोषियों को सशर्त जमानत दी थी। अदालत ने कहा था कि उन्हें गुजरात में प्रवेश करने की इजाजत नहीं होगी। इसके साथ ही उन्हें मध्य प्रदेश के दो शहरों जबलपुर और इंदौर में रहते हुए सामुदायिक सेवा करनी होगी। अदालत ने 15 दोषियों को दो समूहों में बांटा है। इन दोषियों को रोजाना संबंधित पुलिस थाने में पेश भी होना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि 15 दोषी एक साथ इंदौर और जबलपुर में नहीं रहेंगे। बेल की शर्त के मुताबिक दोषियों को एक हफ्ते में छह घंटे की सामुदायिक सेवा करनी होगी। इसके साथ ही दोषियों को संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) को प्रमाण पत्र भी सौंपना होगा। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एमपी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को तीन महीने बाद अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। इस रिपोर्ट में बताना होगा कि जमानत की अवधि के दौरान दोषियों ने शर्तों का पालन किया या नहीं।

Source: Madhyapradesh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *