जम्मू-कश्मीर के जनसुरक्षा कानून को SC में चुनौती

नई दिल्ली
जन सुरक्षा कानून () को चुनौती देने वाली एक याचिका गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में दायर की गई। राज्य में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के बाद इसी कानून के तहत राज्य में कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में रखा हुआ है। J&K नैशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक और राज्य विधि सहायता समिति के कार्यकारी अध्यक्ष भीम सिंह ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि यह कानून विधि सम्मत नहीं है।

सिंह ने जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून, 1978 को अवैध घोषित करने की गुजारिश की। इसे जम्मू कश्मीर विधानमंडल द्वारा 1978 में अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष अधिकार क्षेत्र के आधार पर बनाया गया था। सिंह खुद वरिष्ठ वकील हैं। याचिका के मुताबिक, इस कानून के तहत 600 से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को छह महीने से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया है और जिस दिन भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय संविधान से अनुच्छेद 35-A को निरस्त कर दिया था, उसी दिन इस कानून का अस्तित्व खत्म हो गया था।

याचिका में पांच अगस्त 2019 से हिरासत में रखे गए सभी लोगों को रिहा करने के निर्देश देने की मांग की गई है। बीते साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया था। याचिका में भारत सरकार और प्रतिवादियों को उन लोगों को उचित मुआवजा देने निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जो जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून 1978 के बंदी आदेश के तहत जम्मू-कश्मीर में/ जम्मू कश्मीर के बाहर अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने के छह या इससे अधिक महीने पूरे कर चुके हैं, क्योंकि यह वैध कानून के तौर पर अपना अस्तित्व खो चुका है। याचिका में जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल करने का भी अनुरोध किया है।

Source: National

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