240 FIR, दंगों का आरोप…बने केरल बीजेपी चीफ

तिरुवनंतपुरम
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन में इन दिनों बदलाव चल रहा है। केंद्रीय अध्यक्ष के पद पर जे पी नड्डा की नियुक्ति के बाद राज्यों में भी के चीफ बदले जा रहे हैं। इसी क्रम में बीजेपी ने 49 वर्षीय फायरब्रैंड नेता () को केरल में पार्टी का चीफ बनाया गया है।

के. सुरेंद्रन के खिलाफ दंगे भड़काने के सैकड़ों मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयान, बिना अनुमति के आंदोलन करने जैसे कुल 240 मुकदमे दर्ज हैं। के. सुरेंद्रन विवाद में भी अपनी भूमिका को लेकर काफी चर्चित रही है।

बीजेपी दक्षिण के राज्यों में पैर पसारने में लगी हुई है। कर्नाटक में उसकी सरकार है। तमिलनाडु में वह एआईएडीएमके की सहयोगी है। केरल ही ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी का कोई खास प्रभाव नहीं है। बीजेपी के नेता भी मानते हैं कि केरल में अगर पार्टी कुछ बड़ा कर पाती है तो यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को कोई खास उपलब्धि नहीं मिली। ऐसे में पार्टी ने एक ऐसे नेता को अपना राज्य प्रमुख बनाया है। जिसकी इमेज ब्रैंड हिंदुत्व वाली है।

2001 में नरेंद्र मोदी के ट्रांसलेटर बने के. सुरेंद्रन
के. सुरेंद्रन के ऑफिशल फेसबुक पेज पर मौजूद एक फोटो में वह नरेंद्र मोदी के साथ दिखे थे। यह फोटो अप्रैल 2001 का है। नरेंद्र मोदी उस समय बीजेपी के महासचिव थे। केरल में बीजेपी के एक कार्यक्रम में के. सुरेंद्रन ने नरेंद्र मोदी के अनुवादक का काम किया था। इस तस्वीर के साथ के. सुरेंद्रन ने लिखा, ‘किसी ने नहीं सोचा कि यह आदमी (नरेंद्र मोदी) आगे चलकर देश का प्रधानमंत्री बनेगा। यह बीजेपी में ही होता है। इस पार्टी को परिवार की महिमा नहीं बल्कि कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता है।’

सबरीमला आंदोलन के दौरान आक्रामक थे के सुरेंद्रन
के. सुरेंद्रन 2019 के लोकसभा चुनाव में पतनमतिट्टा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार थे। कुल 295627 वोट पाकर वह तीसरे स्थान पर रहे थे। केरल के कोझिकोड के रहने वाले के. सुरेंद्रन सबरीमला विवाद के दौरान चर्चा में आए। इस दौरान सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बीजेपी और उससे जुड़े संगठन खुलकर सामने आए। के. सुरेंद्रन इन आंदोलनों के अगुआ के तौर पर सामने आए। केरल में कई जगहों पर हिंसक और उग्र प्रदर्शनों में के. सुरेंद्रन का भी नाम आया।

2019 के लोकसभा चुनाव में के. सुरेंद्रन द्वारा दिए गए ऐफिडेविट के मुताबिक, उनके खिलाफ 240 मुकदमे दर्ज थे। इनमें सैकड़ों मुकदमे दंगे भड़काने के आरोप में दर्ज किए गए थे। आमतौर पर प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शांतिभंग करने, बिना अनुमति आंदोलन करने, गैर कानूनी ढंग से इकट्ठा होने के मुकदमे दर्ज होते हैं। के. सुरेंद्रन का नाम भी ऐसे मुकदमों में जमकर आया।

सीएए प्रदर्शनों पर विवादित बयान
हाल के दिनों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जारी प्रदर्शनों को लेकर भी के. सुरेंद्रन ने कई विवाद बयान दिए। के. सुरेंद्रन ने कहा है कि कट्टरपंथी ताकतें सीएए विरोधी आंदोलनों को भड़ा रही हैं। केरल में सीएए-एनआरसी के खिलाफ जारी प्रदर्शनों की तुलना मालाबार क्रांति (1921 में अंग्रेजों के खिलाफ हथियारबंद विद्रोह) से करते हुए सुरेंद्रन ने कहा कि इन आंदोलनों में केवल एक खास समुदाय को लोगों पर हमला होगा।

के. सुरेंद्रन के खिलाफ सबसे ज्यादा मुकदमे दंगे भड़काने के मामले में दर्ज हैं। हालांकि, कई मामलों में चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। इसके अलावा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और लूट-डकैती जैसी धाराओं में भी कई केस दर्ज हैं। गैर इरादतन हत्या का आरोप, मारपीट, धोखाधड़ी, रास्ता रोकना, नरसंहार के लिए उकसाने, सरकारी कर्मचारी से मारपीट करने और बिना अनुमति इकट्ठा होने जैसी धाराओं में भी के. सुरेंद्रन के खिलाफ केस दर्ज हैं।

फायरब्रैंड के. सुरेंद्रन से केरल में बीजेपी को उम्मीद
आपको बता दें कि के चीफ रहे वी एस श्रीधरन पिल्लई को मेघालल का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से यह पद खाली थी। भविष्य में होने जा रहे निकाय चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने के. सुरेंद्रन के हाथ में बागडोर सौंपी है। बीजेपी को उम्मीद है कि पार्टी लेफ्ट और कांग्रेस के इस गढ़ में सुरेंद्रन के नेतृत्व में कुछ ठोस परिणाम ला सकेगी। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल की 20 सीटों में बीजेपी को एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल हुई थी।

Source: National

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