वाराणसी
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद बुधवार को काशी में काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की घोषणा की गई है। इस आंदोलन की घोषणा समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच टकराव के बाद शिवपाल सिंह यादव के साथ उनकी पार्टी में शामिल हुए सुधीर सिंह ने की है। इस आंदोलन की घोषणा से पहले उन्होंने वाराणासी में सिविल जज की कोर्ट में मंगलवार को ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंप देने की मांग करने को लेकर एक केस भी दायर किया है। इस पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद बुधवार को काशी में काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन की घोषणा की गई है। इस आंदोलन की घोषणा समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच टकराव के बाद शिवपाल सिंह यादव के साथ उनकी पार्टी में शामिल हुए सुधीर सिंह ने की है। इस आंदोलन की घोषणा से पहले उन्होंने वाराणासी में सिविल जज की कोर्ट में मंगलवार को ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंप देने की मांग करने को लेकर एक केस भी दायर किया है। इस पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
श्रीकाशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन छेड़ने वाले सुधीर सिंह ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन के प्रथम चरण में महाशिवरात्रि के दिन काशी के सभी हिंदुओं से अपने घरों पर शाम आठ से साढ़े आठ जबे तक हर-हर महादेव संग घंटा-घड़ियाल बजाने और शंखनाद की अपील की गई है।
समिति से जुड़े महाशिवरात्रि को अस्सीघाट पर रात आठ बजे एकत्र होकर डमरू और शंखनाद करेंगे। शिवरात्रि के अगले दिन 23 फरवरी को ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन से जड़े लोग मुफ्ती-ए-बनारस से मिलकर ज्ञानवासी मस्जिद को हिंदुओं को सौंपने का अनुरोध करेंगे। समिति से जुड़े लोग हर सोमवार को किसी न किसी शिवमंदिर में जलाभिषेक करेंगे। शिवरात्रि के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार 24 फरवरी को केदारघाट स्थित केदार मंदिर में जलाभिषेक करेंगे।
Source: International