'हिंदू टेरर' खुलासे पर बवाल, वकील बोले- सच

नई दिल्ली
26/11 के मुंबई हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने इसे ‘हिंदू आतंकवाद’ का रूप देने की पूरी साजिश रच रखी थी। मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर के इस दावे के बाद बीजेपी नेताओं की तरफ से लगाए लांछनों से आहत कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि वह जीवीएल नरसिम्हा राव और अमित मालवीय पर मानहानि का मुकदमा करेंगे। उधर, मुंबई अटैक केस के सरकारी वकील ने भी राकेश मारिया के दावों की पुष्टि की है।

मोदी-शाह अयोग्य जो मुझे गिरफ्तार नहीं करवा रहे: दिग्विजय
मारिया की पुस्तक ” में हिंदू आतंकवाद की साजिश वाले खुलासों के बाद बीजेपी नेताओं ने को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का गुप्तचर बता दिया था। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर वह आईएसआई के गुप्तचर हैं तो उन्हें अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? उन्होंने आगे कहा, ‘अगर ऐसा है तो पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बिल्कुल अयोग्य हैं क्योंकि वो उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा सके हैं।’

कांग्रेस नेताओं पर ‘हिंदू आतंकवाद’ टर्म गढ़ने का आरोप
दरअसल, बीजेपी नेताओं ने दिग्वजिय सिंह पर इसलिए निशाना साधा था क्योंकि सिंह ने मुंबई हमले के लिए आरएसएस पर उंगली उठाई थी और बजरंग दल पर आईएसआई से पैसे लेने का आरोप लगाया था। वैसे भी, दिग्विजय के अलावा यूपीए सरकार में गृह मंत्री रहे कांग्रेस नेता सुशील शिंदे और पी. चिदंबरम पर ” या ‘हिंदू आतंकवाद’ का टर्म गढ़ने और आतंकवाद में हिंदुओं की भी संलिप्तता गलत तरीके से साबित करने की कोशिश करने के आरोप लग चुके हैं।

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क्यों भड़के दिग्विजय?
मालवीय ने कहा था, ’26/11 टेरर अटैक के तुरंत बाद कांग्रेस नेता दिग्विजिय सिंह के साथ कुछ बॉलिवुड हस्तियों ने एक किताब का लोकार्पण किया था जिसमें आरएसएस पर आरोप जड़े गए थे।’ उन्होंने कहा, उस किताब में कहीं पर भी पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथ होने की आशंका तक जाहिर नहीं की गई थी। उन्होंने वही कहा जो पाकिस्तान उनसे कहलवाना चाहता था।’ यह बात सच है कि दिग्विजिय सिंह ने ’26/11 आरएसएस की साजिश?’ नाम से प्रकाशित पुस्तक को लोकार्पण के वक्त कहा था, ‘इस किताब में कहीं भी आप 26/11 में पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ नहीं देख सकते हैं।’

बचाव में उतरे अधीर चौधरी
अब दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव और पार्टी की मीडिया सेल के चीफ अमित मालवीय को मानहानि का नोटिस भेजेंगे। इधर, लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के प्रतिनिधि अधीर रंजन चौधरी ने ” को लेकर उठ रहे सवालों पर पार्टी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि जब ‘हिंदू टेरर’ टर्म सामने आया तब पूरी पृष्ठभूमि कुछ वैसी ही थी। उन्होंने मक्का मस्जिद में बम धमाके और प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी एवं अन्य हिंदुओं की गिरफ्तारी का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी हमेशा धोखा देते हैं और हमले में अपनी असली पहचान छिपा लेते हैं।

मारिया को उज्ज्वल निकम का समर्थन
उधर, 26 नवंबर, 2008 को हुए भयावह मुंबई टेरर अटैक के केस में सरकारी वकील की भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध वकील उज्ज्वल निकम ने भी पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया के दावों का समर्थन किया है। उन्होंने भी कहा कि हमलावरों के पास से मिली आईडीज में हिंदू नाम दर्ज थे। उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि आईडीज में हिंदू नाम लिखे थे। मुंबई कोर्ट में दिए कसाब के बयान से साबित हो गया था कि 10 दोषियों के पास 10 फर्जी आईडीज थे। हमने कोर्ट के सामने इसे साबित किया था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘कसाब ने कहा था कि उसे मिलिट्री ट्रेनिंग देने वाले काफा ने हमलावरों से कहा था कि उन्हें 10 फर्जी आईडीज दिए जाएंगे। इसका इस्तेमाल पुलिस को गुमराह करने के लिए किया जाना था। हमने यह साबित कर दिया था।’

12 वर्षों तक क्यों चुप रहे मारिया: कांंग्रेस
उज्ज्वल निकम के समर्थन के बीच कांग्रेस पार्टी ने सवाल किया कि ‘हिंदू आतंकवाद’ की साजिश वाली बात को मारिया ने 12 वर्षों तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया? पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मारिया के दावे के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘राकेश मारिया साहब, जब 26/11 का घिनौना आंतकवादी हमला हुआ था, उस दौरान मुंबई पुलिस में आला पद पर थे। ऐसे में उन्होंने ये बात पिछले 12 वर्ष में सार्वजनिक क्यों नहीं की? यह जांच प्रक्रिया और अदालती प्रक्रिया का भाग क्यों नहीं बना?’ उन्होंने कहा कि इन सवालों के जवाब मारिया को देने चाहिए।

क्या थी लश्कर की साजिश?
गौरतलब है कि पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी पुस्तक ‘Let Me Say It Now’ में कहा है कि मुंबई हमले में जिंदा पकड़ा गया एकमात्र आतंकवादी आमिर अजमल कसाब की कलाई पर हिंदुओं का पवित्र धागा कलावा यूं ही नहीं बंधा था। उन्होंने पुस्तक में दावा किया कि लश्कर-ए-तैयबा मुंबई हमले को ‘हिंदू आतंकवादियों’ की ओर से किए गए हमले का रूप देना चाहता था। इसके लिए हमलावरों को हिंदू नामों से फर्जी आईडी कार्ड दिए गए थे और कसाब की पहचान बेंगलुरु के समीर दिनेश चौधरी के रूप में दर्ज करवाई गई थी।

कसाब के जिंदा पकड़ाने से बिगड़ गया खेल
मारिया ने कहा कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता, तो कसाब चौधरी के रूप में मर जाता और मीडिया हमले के लिए ‘हिंदू आतंकवादियों’ को दोषी ठहराती। उन्होंने लिखा, ‘अखबारों में बड़ी बड़ी सुर्खियां बनतीं जिनमें दावा किया जाता कि किस प्रकार हिंदू आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया। शीर्ष टीवी पत्रकार उसके परिवार और पड़ोसियों से बातचीत करने के लिए बेंगलुरु पहुंच जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वह पाकिस्तान में फरीदकोट का अजमल आमिर कसाब निकला।’ उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस कॉन्स्टेबल शहीद तुकाराम ओम्बले ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया और लश्कर की ‘हिंदू टेरर’ वली साजिश पर पानी फिर गया।

Source: National

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