के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि हमें ‘राष्ट्रवाद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका अर्थ नाज़ी या हिटलर से निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों का प्रमुखता से इस्तेमाल करना चाहिए। झारखंड के रांची स्थित मोहारबादी में आयोजित ‘संघ समागम’ में हिस्सा लेने पहुंचे भागवत ने ये बातें कहीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भागवत ने कहा कि भारत को बनाने में हिन्दुओं की जवाबदेही सबसे अधिक है। हिंदू अपने राष्ट्र के प्रति और जिम्मेदार बनें। उन्होंने कहा कि ‘हिंदू’ भारत के सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करता है और उन्हें एक सूत्र में जोड़ता है। भारत को विश्वगुरु बनाना सभी का लक्ष्य होना चाहिए।
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‘टिकट की लालसा में शाखा न आएं’
मोरहाबादी में रामदयाल मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की संख्या में एकत्रित हुए स्वयंसेवकों को भागवत ने संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘टिकट पाने की लालसा से शाखा में आने वाले इससे दूर रहें। यहां कोई लोभ-लालच सिद्ध नहीं होगा। किसी पद की चाह में आरएसएस से जुड़ने वालों के लिए संघ में कोई जगह नहीं है।’ उन्होंने कहा कि संघ में कुछ लेने नहीं, बल्कि कुछ देने आएं।
पर्यावरण को लेकर भी जताई चिंता
भागवत ने कहा कि हमें प्रकृति को अपना गुलाम नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मनुष्य ने प्रकृति का बहुत नुकसान किया है। हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि प्रकृति ने हमें बनाया है, हम प्रकृति को भी कुछ वापस करें। हमें प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए। प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का नतीजा चीन में कोरोना वायरस के रूप में दिख रहा है।’
23 तक रांची में रहेंगे भागवत
आपको बता दें कि आरएसएस चीफ अपने तीन दिनों के प्रवास के दौरान 23 फरवरी तक रांची में रहेंगे। इस दौरान भागवत गौ संवर्द्धन, ग्राम विकास, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता व सद्भाव, पर्यावरण व जल संरक्षण जैसे विषयों पर स्वयंसेवकों से चर्चा करेंगे।
Source: National