चेन्नई : नौवहन (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया, , आज चेन्नई में छठे तटरक्षक अपतटीय गश्ती पोत (ओपीवी-6) ‘वज्र’ के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि थे। इस भव्य समारोह में महानिदेशक के. नटराजन, पीटीएम, टीएम, भारतीय तट रक्षक महानिदेशक, महानिरीक्षक एस. परमेश, पीटीएम, टीएम, कमांडर तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री मंडाविया ने कहा कि यह भारतीय तटरक्षक बल के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि छठे ओपीवी को पहली बार समुद्र में उतारा जा रहा है, जो भारतीय तटरक्षक बल को 20 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक बड़े विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के 7500 किलोमीटर से अधिक विशाल समुद्र तट को सुरक्षित करने के प्रयासों को मजबूत करेगा। वैश्विक व्यापार के लिए भारतीय जल सीमा से होते हुए प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक व्यापारी जहाजों का आना-जाना है।
श्री मंडाविया ने भारत के समुद्री इतिहास को याद करते हुए कहा कि भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को हासिल करने और उसे प्रदर्शित करने के लिए गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सिंधु घाटी की सभ्यता में कुछ शताब्दियों को छोड़कर हमेशा से समुद्री प्रौद्योगिकी में मजबूत साझेदार रहा है। उन्होंने कहा कि भारत जहाज निर्माण और भारत के जल की रक्षा के मामले में समर्पित दृष्टिकोण के साथ अपनी समुद्री क्षमताओं को फिर से हासिल कर रहा है।
श्री मंडाविया ने निर्धारित समयसीमा के अनुसार पोत के वितरण के लिए मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग को भी बधाई दी। ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत लॉन्च किया गया ओपीवी मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग द्वारा निर्मित सात ओपीवी परियोजनाओं की श्रृंखला में छठा है।
श्री मंडाविया ने कहा कि ओपीवी-6 वास्तव में अत्याधुनिक सुविधा है, जो ऑपरेशन, निगरानी, खोज और बचाव के मामले में भारतीय तटरक्षक बल की क्षमताओं को बढ़ाएगा। श्री मंडाविया ने सराहना करते हुए कहा कि 43 वर्षों के भीतर, भारतीय तटरक्षक बल ने अपने बेड़े की ताकत बढ़ा दी है और अब यह दुनिया के सबसे बड़े तट रक्षकों में से एक है।
जहाज का उपयोग दिन और रात गश्त/निगरानी के साथ-साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में आतंकवाद-रोधी/तस्करी विरोधी अभियानों के साथ-साथ तटीय सुरक्षा के लिए भी किया जाएगा। ओपीवी में अल्ट्रा-आधुनिक तकनीक के साथ दो नेविगेशन रडार, अत्याधुनिक नेविगेशनल और नवीनतम संचार प्रणाली होगी।