शिक्षा की गुणवत्ता ऐसी हो कि निजी स्कूलों के बच्चे शासकीय स्कूलों में पढ़ने आए: डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम

 स्कूल शिक्षा मंत्री ने राज्य स्तरीय बैठक में विभागीय कार्यों की समीक्षा की
रायपुर, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि स्कूलों में शिक्षा की ऐसी गुणवत्ता हो जिससे निजी स्कूलों के छात्र भी शासकीय स्कूलों में पढ़ने आएं। स्कूल शिक्षा मंत्री आज यहां न्यू सर्किट हाउस के कन्वेंसन हाल में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग की गतिविधियों की लगभग 7 घंटे तक समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पौष्टिक मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ-साथ चिरायु योजना के माध्यम से बच्चों में यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है, तो उसके इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुसार स्कूलों में कृषि विषय में पढ़ाई शुरू करने की पहल की जाएगी। डॉ. टेकाम ने नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी योजना के तहत स्कूल परिसरों में बाड़ी विकास का काम प्रारंभ करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों में कृषि कार्योें के प्रति रूचि बढ़ेगी और मध्यान्ह भोजन के लिए सब्जियां भी उपलब्ध हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा जो डाटा तैयार किया गया है। उस आधार पर कमियों को दूर कर आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। डॉ. टेकाम ने कहा कि डाटा सही-सही मिले तो कहीं भी कठिनाई नहीं होती और योजनाओं का क्रियान्वयन समय पर होता है। देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में कक्षा एक से आठवीं तक राज्य स्तरीय आंकलन किया गया। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा कि हमारा स्कूल सबसे अच्छा बनें। यह कोशिश होनी चाहिए। स्कूलों में शिक्षकों का प्रस्तुतिकरण बेहतर होगा तो बच्चे अच्छी तरह से सीखेंगे। शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए लर्निंग मटेरियल की व्यवस्था की जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी स्कूलों में निरीक्षण करें और वहां की व्यवस्था की जानकारी ले। स्कूलों में शाला विकास समिति और अभिभावकों की बैठक होनी चाहिए।

बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी, संचालक लोक शिक्षण श्री एस. प्रकाश और संचालक समग्र शिक्षा श्री पी. दयानन्द और संयुक्त सचिव श्री सौरभ कुमार उपस्थित थे। शिक्षा विभाग द्वारा संचालित नवाचार योजनाओं का पावरपाइंट प्रजेन्टेशन का अवलोकन किया।

स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि प्रदेश के दूरस्थ अंचलों के स्कूलों में भी शहर के स्कूलों की भांति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। स्कूलों में पूरे देश के मानक स्टैण्डर्ड के अनुसार परीक्षाएं होनी चाहिए। आंकलन परीक्षा के परिणामों के आधार पर बच्चों के पढ़ाई के स्तर में सुधार के गंभीरतापूर्वक प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर लगभग 25 साल बाद पहली बार 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। भर्ती के बाद शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षकों के संविलियन का निर्णय लिए जाने के मात्र तीन सप्ताह में एक लाख नौ हजार शिक्षकों का नियमितिकरण किया गया है। बचे हुए शिक्षकों के संविलियन का कार्य भी जल्द किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत तैयार किए गए एडमिशन पोर्टल का पूरी दक्षता से उपयोग किया जाए। जिससे अधिक से अधिक पात्र विद्यार्थियों का दाखिला सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के परिसर में शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए आंकलन केन्द्र प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा 48 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा कि यूडाइस के डाटा में सभी जानकारियां शामिल हैं। अतिथि शिक्षक (विद्या मितान) में संशोधन कर नियुक्ति के संबंध में आदेश दिए गए थे, जिसमें विद्या मितान को प्राथमिकता से नियुक्त किया जाना है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रावधान के मापदण्ड अनुसार दो सप्ताह के भीतर संशोधन सुधार कर व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि स्मार्ट क्लास रूम, कम्प्यूटर बेस शिक्षा प्रदेश के सवा चार हजार से ज्यादा स्कूलों में शुरू करने की स्वीकृति सर्वे का काम भी जल्द से जल्द करा लें, ताकि इसे शीघ्र शुरू किया जा सके।

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