मंत्री ने पकड़ा फर्जी लेटर पेड पर 52 लाख के काम का प्रस्ताव

रायपुर-स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कोरबा जिले से पाली तानाखार क्षेत्र के विधायक मोहितराम के फर्जी लेटरपेड पर 52 लाख रु. के कार्य की स्वीकृति के प्रस्ताव को विधायक के सामने ही पकड़ा और फर्जी प्रस्ताव को रद्द किया। मामले को गंभीर मानते हुए विधायक को पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाने और फजीर्वाड़ा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करवाएं ताकि भविष्य कोई सोच भी न सके। इस प्रकार का यह दूसरा मामला है इससे पहले कांग्रेस के एक विधायक बिलाईगढ़ क्षेत्र से चंद्रदेव प्रसाद राय के फर्जी लेटरपेड पर फर्जी दस्तख कर उनके ही करीबियों ने लाखों रुपए के कार्य के प्रस्ताव मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास व लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टी.एस. सिंहदेव के नाम प्रेषित किया था। उनके यहां इन प्रस्तावों को मंत्री के सहायकों ने ही पकड़कर विधायक को बुलाकर सूचना दी थी और फिर विधायक ने मामला पुलिस के हवाले करते हुए लिप्त लोगों को काम से अलग किया था।

कल मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह के निवास पर शाम को 3 विधायक जशपुर के विनय भगत, बिलासपुर जिले के तखतपुर विधायक श्रीमती रश्मि अशीष सिंह एवं कोरबा जिले के पाली तानाखार विधायक मोहितराम मौजूद थे। श्रीमती रश्मि आशीष सिंह के रवाना होने के बाद विधायक विनय भगत के काम को लेकर प्रस्ताव पर चर्चा हुई और उसके बाद कोरबा जिले के पाली तानाखार से पहली बार के विधायक मोहितराम के जनहित के कार्य के प्रस्ताव जो लगभग 50 लाख के तथा मदरसा सभा ग्राम तिवरता विकासखंड पाली जिला कोरबा के लिए आधुनिक शिक्षा व्यवस्था संचालित करने के लिए 2 लाख रु. का प्रस्ताव इस प्रकार कुल 52 लाख रु. के प्रस्ताव के दो अलग-अलग पत्र मंत्री के समक्ष थे। मंत्री ने 50 लाख वाले प्रस्ताव में 2 गांव को लेकर विधायक मोहितराम से सवाल किया तो विधायक ने कहा कि यह मेरा प्रस्ताव नहीं है। मंत्री ने तत्काल विधायक के दस्तखत पर ध्यान दिया तो दोनों ही दस्तखत लेटर पेड में पत्र क्रमांक के व्यवहार में अंतर दिखा और प्रमाणित हुआ कि मोहितराम विधायक के नाम पर लेटरपेड बनाकर मंत्री से 52 लाख रु. के कार्य स्वीकृत कराने का था प्रस्ताव। मंत्री ने विधायक को लेटरपेड बदलने और प्रकरण को पुलिस के हवाले करने की नसीहत दी और फर्जी लेटरपेड के प्रस्ताव को अपने ही हाथों से निरस्त कर उसे पुलिस में शिकायत करने की बात कही। यह पत्र 26 सितंबर को मंत्री के यहां पहुंचा था, एक और पत्र 20 सितंबर का है।

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