जिले में प्रस्तावित 3 अस्पतालों की खिसकी 'जमीन'

– नगर निगम और आवास-विकास नहीं दे रहे जमीन

Bएनबीटी न्यूज, गाजियाबादB

जिले में बनने वाले तीन नए सरकारी अस्पतालों पर फिलहाल विराम लग गया है। इस मामले की फाइल शासन स्तर पर अटक गई है। खोड़ा में बनने वाले अस्पताल के लिए जमीन के हस्तांतरण पर भी ब्रेक लग गया है। साहिबाबाद में बनने वाले अस्पताल को लेकर तो विधायक ने विधानसभा के मैराथन सत्र में सवाल भी उठाया। साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा ने आवास-विकास परिषद पर अस्पताल के लिए निशुल्क जमीन नहीं देने का आरोप लगाया है।

खोड़ा में बनने वाले सरकारी अस्पताल के लिए थाने के पीछे खाली पड़ी नगर पालिका की दो एकड़ में से डेढ़ एकड़ जमीन देने पर सहमति बन गई थी। इस संबंध में जब जमीन हस्तांतरण की कार्रवाई शुरु की गई तो शासन के नए निर्देश का हवाला देते हुए डीएम की ओर से इस पर रोक लगा दी गई। सीओमओ डॉ. एनके गुप्ता ने बताया कि शासन स्तर से जब तक अस्पताल बनाए जाने की योजना को स्वीकार नहीं किया जाता है, तब तक जमीन का हस्तांतरण नहीं हो सकता। जबकि पहले यह नियम नहीं था। पहले जमीन हस्तांतरण के बाद शासन से अस्पताल बनाने की मंजूरी मांगी जाती थी। सीएमओ ने बताया कि जमीन के हस्तांतरण पर रोक लगने के बाद नए सिरे से स्वास्थ्य निदेशालय को अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव मंजूर होने के बाद जमीन का हस्तांतरण होगा। उसके बाद अस्पताल बनाने की डीपीआर बनाकर शासन को भेजी जाएगी। सीएमओ ने कहा कि इस पूरी कार्रवाई में लंबा समय भी लग सकता है।

वहीं, साहिबाबाद में आवास-विकास परिषद की ओर से अस्पताल और कॉलेज के लिए जमीन छोड़े जाने का प्रावधान था। वसुंधरा सेक्टर-7 में अस्पताल और कॉलेज के लिए जमीन आरक्षित भी है लेकिन परिषद उसके लिए 70 हजार रुपये मीटर के हिसाब से पैसा मांग रही है। इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था, जिसमें जमीन की कीमत 105 करोड़ रुपये बैठ रही थी। शासन ने इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। इस संबंध में साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा ने विधानसभा के सत्र में प्रश्न भी उठाया था। इसके अलावा विजय नगर में प्रस्तावित सरकारी अस्पताल के लिए नगर निगम को जमीन देनी है। विजयनगर में केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह की ओर से अस्पताल का प्रस्ताव शासन भेजा गया था और नगर निगम को इसके लिए जमीन अपलब्ध करवाने के निर्देश भी दिए गए थे। सीएमओ के अनुसार, उन्हें बताया गया था कि नगर निगम की बोर्ड बैठक में अस्पताल के लिए जमीन देने का प्रस्ताव भी रखा गया लेकिन, वह स्वीकार नहीं हो सका।

कोट:

जिले की आबादी को देखते हुए यहां कम से कम तीन नए अस्पताल बनाए जाने की जरूरत है लेकिन जमीन नहीं होने के कारण कहीं भी अस्पताल का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।

B- डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओB

Source: UttarPradesh

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