प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में डेढ़ साल पहले निर्माणाधीन की भारी भरकम बीम गिरने से 15 लोगों की के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया। मानकों का खुला उल्लंघन कर मनमाने तरीके से निर्माण होने से शुक्रवार को फिर हादसा हो गया। संयोग अच्छा रहा कि किसी की जान नहीं गई। ढलाई के लिए की गई शटरिंग गिरने से एयरफोर्स के जवान समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सुरक्षा मानकों का पालन न होने से सेतु निगम के साथ पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की कार्यशैली पर फिर सवाल उठने लगे हैं।
जीटी रोड पर बड़े वाहनों से जाम का दबाव खत्म करने को चौकाघाट से लहरतारा कैंसर अस्पताल तक बनने वाले ढाई किलोमीटर लंबे फ्लाइओवर की दो बीम गिरने से लोगों की मौत के बाद सरकार और प्रशासन ने आश्वस्त किया था कि निर्माण के दौरान लोगों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा। कई महीने तक काम बंद रहने के बाद जब फिर चालू हुआ तो फिर पहले जैसी लापरवाही बरती जाने लगी। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी इस ओर से आंख मूंदे बैठे रहे। इसके चलते शुक्रवार शाम चार बजे निर्माणाधीन फ्लाइओवर की शटरिंग गिरने के दौरान ठीक वैसी ही स्थिति दिखाई पड़ी जैसी इससे पहले के हादसे के दौरान देखने में आई थी।
फ्लाइओवर के ऊपर ढलाई और लोहे के गाडर जोड़ने का काम चल रहा था और रोड बलॉक न किए जाने से नीचे से लोग पैदल और वाहन गुजर रहे थे। रोडवेज बस स्टेशन से लेकर कैंट रेलवे स्टेशन के सामने तक फ्लाइओवर के नीचे दर्जनों ठेले और गुमटियां लगी थी। अप्रोच मार्ग के दोनों ओर से भी वाहनों का आना-जाना जारी था। कहीं भी न तो बैरेकेडिंग और प्रोटेक्शन वॉल दिखी और न ही पुलिस और ट्रैफिक के सिपाही। सेतु निगम की ओर से तैनात किए गए टीआरबी जवान चाय पीने या खैनी मलने में व्यस्त रहे। ऐसे में फ्लाइओवर के नीचे से लोगों और वाहनों के गुजरने का सिलसिला जारी रहा।
जेल जा चुके इंजिनियर
सेतु निगम के अफसरों द्वारा लोगों के जीवन से खिलवाड़ किए जाने की स्थिति तब है, जब 15 लोगों की जान लेने के आरोप में निगम के सात इंजिनियर और एक ठेकेदार एक साल से ज्यादा समय से जेल में हैं। आईपीसी की धारा 304(गैर इरादतन हत्या) 308,427 और 3/4 लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत क्राइम ब्रांच ने 28 जुलाई 2018 को सेतु निगम के पूर्व मुख्य परियोजना प्रबंधक गेंदालाल, तत्कालीन मुख्य परियोजना प्रबंधक हरिश्चंद्र तिवारी, प्रॉजेक्ट मैनेजर के.एस.सूदन, सहायक अभियंता (सिविल) राजेंद्र सिंह, सहायक अभियंता (यांत्रिक सुरक्षा), अवर अभियंता लाल चंद्र सिंह और राजेश पाल सिंह तथा ठेकेदार साहेब हुसैन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
दस साल में नहीं बन सका
चौकाघाट फ्लाइओवर का निर्माण 2009 में शुरू हुआ लेकिन दो सरकारों के कार्यकाल में भी पूरा नहीं हो सका। तीसरी योगी सरकार में भी फ्लाइओवर अब तक तो नहीं चालू हो सका, अलबत्ता हादसे होते जा रहे हैं। योगी सरकार में दो बार समय सीमा तय किए जाने के बाद भी फ्लाईओवार का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। समय बढ़ने के चलते फ्लाइओवर की लागत सौ करोड़ बढ़ चुकी है।
Source: UttarPradesh