बनारस में लगा कारपेट एक्‍सपो विदेशी खरीदारों से गुलजार

विकास पाठक, वाराणसी में 38वें इंडिया का आगाज शुक्रवार को हुआ। चार दिनों तक चलने वाले एक्‍सपो में पहले ही दिन बड़ी संख्‍या में विदेशी खरीदार पहुंचे हैं। मंदी के दौर से गुजर रहे पूर्वांचल ही नहीं, देश के कालीन उद्योग का भविष्‍य एक्‍सपो में तय होगा। धारा 370 हटाए जाने के बाद की स्थिति के चलते कश्‍मीर के आयातक इस बार एक्‍सपो में नहीं आए हैं।

संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय ग्रांउड में करोड़ों की लागत से बने पंडाल में कारपेट एक्‍सपो का शुभारंभ केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के सचिव रवि कपूर ने किया। एक्सपो में देशभर के कालीन निर्माता बेहतरीन कलेक्शन लेकर पहुंचे हैं। केंद्रीय वस्‍त्र सचिव रवि कपूर ने कहा कि चीन समेत अन्‍य देशों में हस्‍तनिर्मित कालीन को बढ़ावा देने में आड़े आ रही इम्‍पोर्ट ड्यूटी को कम कराने की पहल की जाएगी। इसके लिए भारत सरकार के माध्‍यम से संबंधित देशों से बातचीत होगी। हस्‍तनिर्मित कालीनें भारत की धरोहर है। इसको संरक्षित करने की दिशा में काफी कुछ किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मेगा क्लस्‍टर के जरिए कालीन उद्योग से जुड़े 11 हजार बुनकरों को तीन साल में प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा नक्‍सल प्रभावित क्षेत्रों में भी बुनकरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

500 करोड़ का कारोबार
सीईपीसी के चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि एक्‍सपो में पहले दिन 30 देशों के करीब दो सौ खरीदार पहुंचे हैं। चार दिनों में 400 से ज्‍यादा खरीदारों के आने की सूचना मिली है। इनमें कभी हस्‍तनिर्मित कालीन में भारत के प्रतिद्वंद्वी रहे चीन के आयातक भी हैं। चीन में मशीन मेड कालीन का कारोबार बढ़ने से अब भारत चीन में हस्‍तनिर्मित कालीन का निर्यात कर रहा है। ऐसे में मंदी के दौर में भी एक्‍सपो से 500 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्‍मीद है।

सिल्‍क की कालीन आकर्षण का केंद्र
कालीन नगरी भदोही के साथ ही जयपुर, आगरा, कश्‍मीर, पानीपत, मुंबई, दिल्‍ली व अन्‍य राज्‍यों के आयातकों के 230 स्‍टॉलों पर कालीन के रूप में सजे हस्‍तशिल्‍प के बेजोड़ नमूनों को विदेशी ग्राहक देखते ही रह गए। इस बार हल्‍के रंगों के ऊन, रेशम, कृत्रिम फाइबर, जूट, कपास से तैयार कालीन व फ्लोर कवरिंग के साथ जयपुर की सिल्‍क की कारपेट आकर्षण का केंद्र बनी है। आठ गुणे दस फुट की कई रंगों वाली सिल्‍क कारपेट 14 लाख नॉट्स (गांठें) से तैयार हुई है। इसे ‘होली’ कालीन नाम दिया गया है। इसकी कीमत करीब दो लाख रुपये है।

पहली बार लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार
एक्‍सपो में कालीन कारोबार से जुड़े छह निर्यातकों को पहली बार लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। इसके अलावा 15 निर्यातक भी सम्‍मानित किए गए हैं। लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार से सम्‍मानित होने वाले निर्यातक मुस्‍तफा खान, राजा राम गुप्‍ता, श्रीधर मिश्रा, राज कुमार सिंह, शौकत अली अंसारी और वी.आर. शर्मा हैं।

Source: UttarPradesh

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