सुई से भी बारीक चीजों पर थी सुरक्षा बलों की नजर
एक वरिष्ठ अधिकारी ने सुरक्षा इंतजाम के बारे में कहा, ‘फिक्स्ड विंग ड्रोन्स के जरिए 3 सेमी. तक के रेजॉलूशन पर हमारी नजर थी जबकि गूगल स्ट्रीट व्यू मैप का रेजॉलूशन 60 सेमी. तक होता है।’ सुरक्षा के लिए इलाके की छोटी से छोटी डिटेल पर नजर रखी गई थी। इसे स्पष्ट करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ड्रोन्स के जरिए सुरक्षा का अर्थ है कि ऐसी कोई भी चीज जो 3 सेमी. के दायरे में आती है वह भी ड्रोन्स कैमरे के जरिए हमारी जद में है। सुरक्षा की मुस्तैदी इससे समझी जा सकती है कि एक कार के अंदर मौजूद हर छोटी से छोटी चीजों की भी तस्वीर सुरक्षा बलों के पास थी।
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एरियल सर्विलांस के साथ ही 6 और क्वॉडकॉप्टर ड्रोन्स भी सुरक्षा के लिए लगे हुए थे जिनके जरिए विजुअल्स की लाइव फीड पुलिस कंट्रोल रूम के पास थी। तमिलनाडु की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) पुलिस कंट्रोल रूम सेंट्रल का नेतृत्व कर रही थी। अन्ना यूनिवर्सिटी के रिसर्च करनेवाले छात्रों को यह ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, छात्रों को भी आखिरी मौके तक नहीं पता था कि यह सारा इंतजाम चीनी राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।
100 मीटर ऊंचाई से 10 दिनों तक ली गई तस्वीरें
30000 से अधिक 14 मेगापिक्सल की हाई रेजॉलूशन तस्वीरें 10 दिनों तक लगातार 100 मीटर की ऊंचाई से खींची गई। एक बैकेंड टीम ने इन सबको जोड़कर ऑर्थो मैप या डिजिटल सरफेस मैप तैयार किया। बाद में इन तस्वीरों को 3D विजुअल में कन्वर्ट किया गया और इन्हें मोबाइल ऐप में फीड किया गया, जिसका प्रयोग सिर्फ सिक्यॉरिटी टीम ही कर सकती थी।
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सेंटर फॉर एयरोस्पेस रिसर्च के के सेंथिल कुमार ने कहा कि इससे पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील स्थानों की पहचान करने में मदद मिली। उन जगहों पर खास तौर पर पुलिस ने व्यक्तिगत स्तर पर सुरक्षा का मुआयना किया। एक सूत्र ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति स्टेशन के टेरेस पर पूरे रास्ते में की गई। इसके साथ ही मेट्रो रेल स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा का इंतजाम था। 4 डीजीपी रैंक के अधिकारी, 16 एसपी रैंक और 10000 सुरक्षाकर्मियों को महत्वपूर्ण दौरे की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया।
Source: National