डॉन की पत्नी से डील, शाह ने कांग्रेस को घेरा

नई दिल्ली
गृह मंत्री ने कहा कि मुंबई ब्लास्ट के आरोपी की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल के बीच हुआ जमीन का सौदा देशद्रोह के किसी मामले से कम नहीं है। उन्होंने हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में कहा कि अब पूरा दारोमदार सोनिया गांधी, राहुल गांधी और शरद पवार पर है कि वे इस मामले में खुद को पाक साफ साबित करें।

रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद डील होना हैरान की बात: शाह
दरअसल, टाइम्स नाउ ने ही तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और इकबाल मिर्जी की बीवी हाजरा मेनन के बीच वर्ष 2007 में हुई रियल एस्टेट डील का खुलासा किया है। जब गृह मंत्री से पूछा गया कि इस खुलासे पर उन्हें क्या कहना है तो शाह ने कहा, ‘आपको ये सवाल राहुल गांधी से पूछने चाहिए। वह कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार की थी। आपको शरद पवार से पूछना चाहिए क्योंकि एनसीपी के लीडर हैं और आप जो तारीख बता रहे हैं, मैं आपको बताना चाहता हूं कि (1993 मुंबई बम हमले के) आरोपी (इकबाल मिर्ची) के खिलाफ तब तक रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका था, फिर भी उन्होंने (प्रफुल्ल पटेल ने) अग्रीमेंट पर दस्तखत किया।’

के साथ डील की कौन सी मजबूरी: शाह
शाह ने कहा, ‘कांग्रेस और एनसीपी को उन दस्तावेजों को लेकर क्या कहना है जिन्हें आपन अपने चैनल पर दिखाया है। लेकिन हैरानी होती है कि इस पर दोनों पक्ष चुप हैं। सिर्फ प्रफुल्ल पटेल जवाब दे रहे हैं और दरअसल मैंने उनका बयान भी पढ़ा। उन्होंने कभी इन हस्ताक्षरों की बात नहीं की। उन्होंने यह नहीं बताया कि आखिर उन्हें हाजरा बीबी के साथ डील क्यों करनी पड़ी थी, उनकी क्या मजबूरी थी।’

हाजरा बीबी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यूपीए सरकार ने ही दी थी दलील
यूपीए सरकार ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट में पासपोर्ट बहाल करने की हाजरा बीबी की मांग का विरोध किया था। तब सरकार ने दलील दी थी कि हाजरा बीबी को किसी तरह की राहत देना राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगाना होगा और इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी। सरकार ने कोर्ट को बताया था कि हाजरा अपने पति इकबाल मिर्ची की अवैध संपत्ति बेचने की कोशिश कर रही थी। टाइम्स नाउ ने शाह से पूछा कि क्या यूपीए सरकार के कोर्ट में इन दावों के बाद भी माना जा सकता है कि इस केस में आतंकवाद से कोई लेनादेना नहीं है?

पहली नजर में यह अग्रीमेंट देशद्रोह का मामला: शाह
इस पर गृह मंत्री ने कहा, ‘जांच चल रही है। आप और हम यहां बैठकर निर्णय नहीं कर सकते हैं। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) मामले की बारीकियों में जा रहा है। एक बार जांच पूरी हो जाए और विश्लेषण हो जाए तभी हम टिप्पणी कर सकते हैं कि इसमें कोई टेरर ऐंगल है या नहीं। हालांकि उन्होंने कहा, ‘लेकिन पहली नजर में इकबाल मिर्ची की पत्नी के साथ अग्रीमेंट ‘देशद्रोह’ जैसा ही लगता है।’

खुद को पाक साफ साबित करें संबंधित नेता: गृह मंत्री
जब उनसे पूछा गया कि क्या आप इसे स्पष्ट रूप से देशद्रोह का मामला मानते हैं और क्या यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एनएसए और गृह मंत्री को इसका जवाब देना चाहिए क्योंकि तब प्रफुल्ल पटेल कैबिनेट मिनिस्टर थे? शाह ने कहा, ‘मैं सच में आपके प्रोग्राम के जरिए सोनिया और राहुल गांधी के साथ-साथ शरद पवार से भी पूछना चाहता हूं कि क्या वे इस मामले में खुद को सार्वजनिक तौर पर पाक साफ साबित करेंगे?’

सोनिया, राहुल, मनमोहन, पवार दें जवाब: शाह
गृह मंत्री ने कहा, ‘एक तरफ तो आप सुप्रीम कोर्ट से हाजरा बीबी को उसका पासपोर्ट वापस नहीं करने को कह रहे हैं क्योंकि वह इकबाल मिर्ची की अवैध संपत्ति बेचने की कोशिश कर रही थी। दूसरी तरफ आपके अपने कैबिनेट मिनिस्टर उसके साथ प्रॉपर्टी डील साइन कर रहे हैं। मुझे लगता है कि इस डॉक्युमेंट से ज्यादा ठोस सबूत कुछ नहीं हो सकता। उन्हें कम-से-कम सामने आकर क्लियर स्टैंड लेना चाहिए। उन्हें अपने बारे में बताना चाहिए क्योंकि वे सरकार के हिस्सा थे। दरअसल, सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की चेयरपर्सन थीं।’

महाराष्ट्र चुनाव से पहले मुद्दा उठाने के आरोप पर शाह का जवाब
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गड़े मुर्दे उखाड़े जाने के विपक्ष के सवालों पर शाह ने कहा कि अगर उनके आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो यह सोचना पड़ेगा कि चिदंबरम के खिलाफ केस दर्ज करते वक्त कौन सा चुनाव था? उन्होंने कहा, ‘इससे पहले अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर प्रकाश में आया था, तब कौन सा इलेक्शन था? उससे भी पहले नैशनल हेरल्ड केस आया था जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जमानत लेनी पड़ी, तब कहां चुनाव होने वाला था? शाह ने कहा, ‘देखिए, उन्हें जितनी मर्जी हो चीख-चिल्ला लें, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होगा।’

Source: National

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