1700 साल पुरानी परंपरा, इस बार सिंधु बनीं आइकन

तिरुवनंतपुरम
केरल के में 1700 साल से चली आ रहे त्योहार में इस बार स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी को धूमधाम से सम्मान दिया गया। यहां सिंंधु का एक बनाया गया और धूमधाम के साथ जुलूस निकला। राज्य के पल्ली में 16 दिन चलने वाले प्रसिद्ध लोक कला कार्यक्रम ‘नीलमपेरूर ‘ के फिनाले में सिंधु का कोलाम (पुतला) लगाया गया जिसकी ऊंचाई 6 फीट थी। सिंधु के कोलाम के साथ हजारों लोग चल रहे थे और संगीत बजाया जा रहा था। इस वार्षिक उत्सव में शामिल होने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।

पदयानी मध्य केरल के भगवती मंदिरों में होने वाला एक रिवाज है। स्थानीय लोगों के अनुसार राज्य में वानदुर्गा को समर्पित मंदिरों में एक कोट्टायम अलप्पुझा सीमा पर नीलमपेरूर के इस पल्ली भगवती मंदिर का इतिहास 1700 साल पुराना है। दैवीय एवं अर्धदैवीय व्यक्तित्वों के अलावा गांव के पदयानी कलाकारों ने महिला सशक्तिकरण और हाल के वर्ल्ड चैंपियन में उनकी ऐतिहासिक जीत को दर्शाने के लिए सिंधु का कोलाम (पुतला) बनाने का फैसला किया।

सिंधु का छह फुट ऊंचा पुतला प्राकृतिक चीजों जैसे सुपारी के पेड़ के तने, केले, बांस, कमल के फूल आदि से बनाया गया। पीवी सिंधु को जब यह जानकारी मिली तो खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने इसके बारे में जब अखबार में पढ़ा तो बेहद खुशी हुई। यह मेरे लिए बहुत सम्मानजनक बात है और इसे मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकती। प्राचीन परंपरा में मुझे स्थान दिया गया, मेरे लिए गौरव की बात है और यही चीजें मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।’

Source: Sports

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