'प्रतिबंध संबंधी आदेश पेश करे J&K प्रशासन'

नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन से उन आदेशों को अदालत के समक्ष पेश करने को कहा जिसके तहत राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने वाले को हटाए जाने के बाद संचार पाबंदी लगाने के आदेश दिए गए थे। शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से पूछा कि उसने राज्य में संचार पाबंदी लगाने के बाबत आदेश और अधिसूचना जारी क्यों नहीं की।

जम्मू कश्मीर का प्रतिनिधित्व करते हुए, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि वह संचार पाबंदी से संबंधित शासकीय आदेश को शीर्ष अदालत द्वारा देखे जाने के लिए ही पेश करेंगे। पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवई शामिल हैं।

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पीठ ने पूछा, ‘आपने कुछ आदेश पारित किए थे। आपने इसे दायर क्यों नहीं किया?’ क्या यह उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया गया है?’ मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय हित में लिए गए प्रशासकीय निर्णयों के लिए कोई भी अपील नहीं कर सकता। केवल कोर्ट ही इसे देख सकता है और निश्चित ही याचिकाकर्ता इसे नहीं देख सकते।

उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि वह नए हलफनामे को दाखिल करेंगे क्योंकि पाबंदी से संबंधित परिस्थितियां बदल गई है। अदालत कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की बंद व संचार पाबंदी से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

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जब पीठ ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया कि कश्मीर में मोबाइल सेवाओं को बहाल कर दिया गया है, याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कहा कि केवल बीएसएनएल पोस्टपेड मोबाइल की सेवाएं ही चालू की गई थीं लेकिन अधिकारियों की ओर से एसएमएस सेवा मंगलवार को बंद कर दी गई।

शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में प्रतिबंध और संचार पाबंदी का मुद्दा उठाया है।

Source: National

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