हवा ही नहीं इंतजाम भी बदतर

Akhandpratap.singh

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गाजियाबाद : जिले की हवा फिर से खराब होने लगी है। बुधवार को 339 एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के साथ गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। यही नहीं गाजियाबाद के ही लोनी देहात का एक्यूआई 358 रिकॉर्ड किया गया। इस हफ्ते अपना शहर तीसरी बार देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में आ चुका है। बता दें कि मंगलवार से जिले में ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया गया है, इसके बाद भी शहर की यह स्थिति कई सवाल खड़े कर रही है। लोगों को चिंता सता रही है कि ठंड शुरू होने से पहले ही अगर यह हाल है तो आगे क्या होगा। पर इन सबके बीच एक अहम सवाल ये है कि प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी शहर का इतना बुरा हाल क्यों है। हमने जब इसकी पड़ताल की तो हमें ऐसी कई कमियां दिखीं, जिन पर अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है।

प्रदूषण बढ़ने की वजह

1. एनएच-9 व दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का काम :

गाजियाबाद में एनएच-9 व दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का काम तेजी से चल रहा है। इस काम के दौरान नियमों की अनदेखी की जा रही है। इस वजह से कंस्ट्रक्शन साइट्स से खूब धूल उड़ रही है, जिससे हवा खराब हो रही है। नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य करने की वजह से 4 दिन पहले ही यूपी पलूशन कंट्रोल बोर्ड ने नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) पर 90 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इस कार्रवाई के बाद भी स्थिति बदलती नजर नहीं आ रही है।

2. रोड पर ठीक से सफाई न होना

शहर की कई सड़कों के किनारे धूल जमा है। हवा चलने पर धूल उड़कर प्रदूषण का ग्राफ बढ़ाती है। बेशक प्रशासन सड़कों पर पानी के छिड़काव के तमाम दावे करता हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। अभी सुबह और शाम पानी का छिड़काव शुरू नहीं हो सका है।

3. दौड़ रहे जुगाड़ वाहन

जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में जुगाड़ वाहन खुलेआम चल रहे हैं। इन पर न ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई करती है और न ही आरटीओ की टीम। एक्सपर्ट का कहना है कि आम वाहनों की अपेक्षा जुगाड़ वाहन से अधिक धुआं निकलता है। इनके पास प्रदूषण प्रमाणपत्र भी नहीं होता है। ऐसे में इन पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

4. भट्ठी और तंदूर भी बड़ी वजह

हाईवे और सड़कों के किनारे बने मोटल और ढाबे में भट्ठी और तंदूर खुलेआम जलाए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। हापुड़ चुंगी के पास ऐसे कई ढाबे हैं। कार्रवाई से बचने के लिए मोबाइल तंदूर का प्रयोग हो रहा है। टीम की सूचना पर उसे वहां से हटा दिया जाता है।

5. फैक्ट्रियां व जेनरेटर का चलना

एनजीटी की सख्ती के बाद भी जिले में बड़ी संख्या में प्रदूषण फैलाने वाली अवैध फैक्ट्रियां चल रहीं हैं। लोनी एरिया में ऐसी फैक्ट्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है। प्रशासन की टीम इन पर कार्रवाई तो करती है, लेकिन कुछ दिन बाद ये फिर से चालू हो जाती हैं। इसके अलावा शहर में जमकर जेनरेटर भी चल रहे हैं। इन सबसे निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित कर रहा है।

6. कागजों में ग्रैप

बेशक जिले में ग्रैप मंगलवार से लागू कर दिया गया हो, लेकिन इसके नियमों का पालन कराने में अधिकारियों की दिलचस्पी नहीं दिख रही है। मंगलवार व बुधवार को कहीं भी नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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एक दिन बाद जारी हुआ एक्शन प्लान

समस्या बढ़ते देख जीडीए ने बुधवार को ग्रैप से जुड़ा एक्शन प्लान जारी किया। इसमें खुले में निर्माण सामग्री होने पर जुर्माना लगाने, सड़कों पर सुबह-शाम पानी का छिड़काव करने व समीर ऐप व सोशल मीडिया पर आने वाली हर शिकायत को 24 घंटे के अंदर निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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Bअस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

Bएमएमजी अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. आर.पी. सिंह का कहना है कि प्रदूषण की वजह से अचानक एलर्जी, सांस, खांसी व फेफड़ों में संक्रमण के मरीज भी बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि एक हफ्ते पहले तक जहां ओपीडी में एलर्जी के 10-12 मरीज आते थे, वहीं अब इनकी संख्या 20-30 हो गई है। कंबाइंड अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. आर.सी. गुप्ता ने बताया कि एक हफ्ते पहले तक खांसी, जुकाम और फेफड़ों के संक्रमण के मरीजों की संख्या ओपीडी में 12-16 तक होती थी, लेकिन अब रोजाना 25 से 30 मरीज आ रहे हैं।

Bबीमारियों में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है सीओपीडी

Bजेपी अस्पताल के सीनियर पल्मनॉलजिस्ट डॉ. ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने बताया कि देश में मरीजों की मौत के 10 बड़े कारण हैं और उनमें तीन कारण रेस्पिरेट्री डिजीज के हैं। क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (सीओपीडी) मरीजों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसे आम भाषा में काला दमा भी कहा जाता है। यह बीमारी फेफड़ों के गंभीर संक्रमण से होती है और इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार वायु प्रदूषण होता है।

Bएनसीआर के शहरों का हालB

शहर एक्यूआई

लोनी देहात 358

गाजियाबाद 339

ग्रेटर नोएडा 314

दिल्ली 304

फरीदाबाद 300

गुरुग्राम 287

नोएडा 326

Source: UttarPradesh

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