खैर, यह तो रही रेकॉर्ड की बात। ऐतिहासिक पारी खेलने के बाद उन्होंने बेंगलुरु से मुंबई में बैठे अपने कोच को फोन किया। यह हर मैच के बाद किया जाने वाला आदतन कॉल था। कोच ज्वाला ने कॉल उठाया और हर बार की तरह इस बार भी पूछा- आज क्या किया… कितने रन बनाए? दूसरी ओर से यशस्वी ने जवाब से पहले सवाल दागा- अपको नहीं पता? सिर्फ दो रन ही बना पाया। इसके तुरंत बाद यशस्वी जोर-जोर से हंसने लगे।
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डबल सेंचुरी के बारे में पता था…
यशस्वी के कोच ज्वाला ने ‘
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन’ से उस बेहद खास बातचीत के बारे में खुलासा किया। उन्होंने बताया- मुझे पता था कि बच्चे ने डबल सेंचुरी जड़ी है, लेकिन लिस्ट-ए में वह यंगेस्ट डबल सेंचुरियन बन गया है ऐसे रेकॉर्ड के बारे में जानकारी नहीं थी। ऐसा नहीं है कि मैं दूर होने पर यशस्वी या अपने किसी बच्चे के प्रदर्शन पर नजर नहीं रखता। दरअसल, मैं जानना चाहता था कि इतनी कम उम्र में ऐसी पारी खेलने के बाद यशस्वी की प्रतिक्रिया क्या होगी?
17 की उम्र में डबल सेंचुरी, कबिलेतारीफ प्रदर्शन है
टूर्नमेंट में अपने शिष्य के धमाकेदार प्रदर्शन पर कहा- देखिए, छोटे स्तर पर (अंडर-19 जैसे) संभावनाएं अधिक होती हैं और वहां विपक्षी टीम का गेंदबाज भी आपके ही लेवल का मिलता है, लेकिन सीनियर लेवल पर बात अलग होती है। वहां कई इंटरनैशनल लेवल के खिलाड़ी भी खेलते हैं। ऐसे में 17 वर्ष की उम्र में ऐसा आकर्षक प्रदर्शन करना वाकई में काबिलेतारीफ है।
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वरुण आरोन को खेलने में हुई दिक्कत
पृथ्वी साव के भी बचपन के कोच रहे ज्वाला ने कहा- जब यशस्वी ने कॉल किया तो बताया कि झारखंड के वरूण आरोन काफी तेज गेंदबाजी कर रहे थे। उन्हें खेलने में शुरुआत में थोड़ी कठिनाई भी हुई। ऐसे ही हम हर मैच के दौरान आने वाली दिक्कतों के बारे में चर्चा करते हैं और तोड़ निकालने की कोशिश करते हैं। यशस्वी में खास बात यह है कि वह सीखने में विश्वास रखते हैं और मेरे ख्याल से यही बात उन्हें मजबूती देती है। बता दें कि वरुण आरोन इंटरनैशनल लेवल पर भारत के लिए खेल चुके हैं।
सिखाया है- बैटिंग सचिन जैसी आक्रामक और जिंदगी जाफर जैसी होनी चाहिए
यशस्वी की बल्लेबाजी तकनीक के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि मैंने बचपन से यशस्वी को कोचिंग दी है। उस समय से ही मैं उससे कहा करता था- बैटिंग मास्टर सचिन तेंडुलकर की तरह आक्रामक और जीवनशैली वसीम जाफर की तरह सुलझी होनी चाहिए। ताकि कभी किसी बात का मलाल न रहे। ये बातों मैं यशस्वी में देखता भी हूं। वह हर पारी को बड़ी बनाने में विश्वास रखते हैं। दरअसल, मुंबई के क्रिकेट पर इन दोनों का सबसे अधिक प्रभाव है, जो सही भी है।
साथ ही उन्होंने जल्द ही इंटरनैशनल लेवल पर खेलने की उम्मीद भी जताई है। हालांकि उनका मानना है कि टीम इंडिया में पहुंचना और वहां बने रहना आसान नहीं है। अगर टीम में बने रहना है तो आपको लगातार शानदार प्रदर्शन करना होगा, क्योंकि वहां बैटिंग और बोलिंग दोनों में आपको टक्कर देने के लिए अच्छे खिलाड़ी हैं।
विजय हजारे ट्रोफी में प्रदर्शन
vs छत्तीसगढ़- 44 रन
vs गोवा- 113 रन
vs कर्नाटक- 22 रन
vs केरल- 122 रन
vs झारखंड- 203 रन
Source: Sports