लखनऊ में के नेता की दिनदहाड़े हत्या के बाद शुक्रवार देर शाम शव उनके पैतृक जिले सीतापुर के महमूदाबाद लाया गया। शनिवार को पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के बीच उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले तिवारी की पत्नी, मां और बेटों ने अपनी मांगों को लेकर अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था।
परिवारवालों का कहना था कि जब तक सीएम योगी आदित्यनाथ उनसे मिलने नहीं आएंगे, तब तक वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। यह जानकारी मिलते ही मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम और आईजी एसके भगत मौके पर पहुंचे। करीब दस घंटे तक चले मान मनौव्वल के बाद घरवालों और प्रशासन के बीच लिखित समझौता हुआ। इसके बाद अंतिम संस्कार किया जा सका।
कमलेश तिवारी का शव आने की सूचना पर शनिवार सुबह से ही कई हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की भीड़ महमूदाबाद में जमा होने लगी। किसी अनहोनी से बचने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। महमूदाबाद में बाजार बंद करा दिया गया। प्रमुख स्थानों पर पीएसी बल को तैनात कर पूरे नगर क्षेत्र में पुलिस मार्च करती रही।
इन मांगों पर हुआ समझौता
कमलेश तिवारी के बड़े बेटे को सत्यम को नौकरी दिलाए जाने, लखनऊ में आवास दिए जाने, लखनऊ में शुक्रवार रात परिजन व कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज की जांच कराए जाने, हत्या की जांच एनआईए से कराए जाने, पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी हिंदूवादी कार्यकर्ताओं को अविलंब रिहा करने, घरवालों को मुख्यमंत्री से मिलाए जाने, 24 घंटे के अंदर परिजन को सुरक्षा मुहैया कराए जाने, शस्त्र लाइसेंस और आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग पर प्रशासन और परिवारवालों के बीच सहमति बनी है। मांगपत्र पर मंडलायुक्त और आईजी ने अपने हस्ताक्षर भी किए हैं।
छावनी में तब्दील हो गया महमूदाबाद
इससे पहले, महमूदाबाद में कमलेश तिवारी की हत्या से आक्रोशित लोगों ने प्रशासन और मुख्यमंत्री मुर्दाबाद के नारे लगाए। सचेत प्रशासन ने विभिन्न सार्वजनिक स्थानों को छावनी में पूरी तरह तब्दील कर दिया। सैकड़ों की तादात में पुलिस और पीएसीकर्मी पूरे शहर के चप्पे-चप्पे पर छाए रहे। किसी अनहोनी से निपटने के लिए प्रशासन ने पड़ोसी जनपद लखीमपुर से भी अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर उसे तैनात कर दिया।
मूलतः संदना के रहने वाले थे कमलेश
बता दें कि कमलेश तिवारी (40) पुत्र रामसरन दास ने करीब दो दशक पूर्व हिंदू टाइगर फोर्स का गठन किया था। तिवारी हिंदू समाज पार्टी का गठन करके उसे बढ़ाने में लगे थे। उन्होंने गत लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट से चुनाव भी लड़ा था। कमलेश तिवारी अपनी मां कुसमा तिवारी, भाई कौशल और सुधीर उर्फ सोनू के साथ वर्ष 1980 में अपने पैतृक गांव पारा कोठवा थाना संदना, सीतापुर से महमूदाबाद के नई बाजार में रहने चले गए थे।
Source: UttarPradesh