RAIPUR:आरटीआई कार्यकर्ता और काँग्रेस नेता संजीव अग्रवाल ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार मीडिया के माध्यम से एक बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार का खुलासा किया है। प्रकरण यह है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित रिंग रोड क्रमांक -2 टाटीबंध से भनपुरी मार्ग के निर्माण में लोक निर्माण विभाग विभाग के अधिकारियों की आपसी साँठगाँठ से इस सड़क के निर्माण कार्य में भारी मात्रा में वित्तीय अनियमितता और शासन के नियमों के विपरीत जाकर काम हुआ है, जिस वजह से न सिर्फ सड़क निर्माण कम्पनी को ग़ैरक़ानूनी तरीके से नियमों के परे जाकर काम दिया गया है बल्कि शासन को भी करोड़ों रुपये का चूना भी लगाया गया है। इस सड़क निर्माण के कार्य में विभागीय अधिकारियों और संबंधित विभाग के मंत्री की भूमिका भी संदेह के घेरे में है जिन्होंने नियमों और निविदा प्रपत्र के ख़िलाफ़ जाकर निर्माण एजेंसी को एकतरफ़ा गलत कामों में सहयोग किया और जमकर भ्रष्टाचार किया है।
सड़क निर्माण के लिए जिस ठेकेदार /कम्पनी को जिस दर पर कार्य आदेश हुए वह 16.40 प्रतिशत बिलो तय हुए थे एवं जो 16.40 प्रतिशत बिलो में खत्म होना था वह लगभग 80 प्रतिशत ऊपर ख़त्म हुआ, जो कि सीधे तौर पर शासन का नुक्सान है। इस काम को करने के लिए विभाग द्वारा 67.60 करोड़ रुपए में ठेका होना था जिसे निर्माण करने वाली ठेकेदार कम्पनी ने 16.40 प्रतिशत बिलो यानी 56 करोड़ 51 लाख रुपए में करना था लेकिन विभाग द्वारा जो भुगतान किया गया है वह 110 करोड़ 87 लाख रुपए किया गया है जो की एक बड़ा भ्रष्टाचार और घोटाला है। इस कार्य के लिए जो निविदा प्रपत्र बना था वह भी 67 करोड़ रूपए के हिसाब से बना था लेकिन फाइनल बिल के मुताबिक काम 110 करोड़ रूपए का हुआ। यदि काम को पहले ही विभाग के एक्सपर्ट अधिकारी तय कर लेते की कार्य 110 करोड़ का है तो कई दूसरी राष्ट्रीय और बड़ी कम्पनियाँ भी इस काम के लिए अपनी रूचि दिखातीं और निविदा में भाग लेतीं, लेकिन विभागीय अफसरों और मंत्री द्वारा एक कम्पनी विशेष को फायदा पहुँचाने के मकसद से इस निविदा प्रपत्र में गैर क़ानूनी और आपराधिक रूप से छेड़छाड़ की गई, निविदा प्रपत्र से ज्यादा के लगभग 40 करोड़ से ज्यादा के काम बिना निविदा के करा लिए गए और विभागीय अधिकारियों और मंत्री ने ठेकेदार कम्पनी के साथ मिलकर करोड़ो रुपए का चूना शासन को लगाया।
सड़क निर्माण का यह कार्य जो 67 करोड़ में ख़त्म हो जाना था जिसे 110 करोड़ में कराया गया। 67 करोड़ के अतिरिक्त जो काम कराए गए वह भी विभागीय अफसरों ने बिना किसी निविदा के करा लिए जो की आपराधिक श्रेणी में आता है। यदि, निविदा का प्रपत्र DPR और PAC सब कुछ सही होता तो पूर्व में ही उक्त कार्य की निविदा 110 करोड़ की लगाई जाती एवं उक्त राशि हेतु ठेकेदारों को भी जो 110 करोड़ के कार्य की अहर्ताए रखते हैं उन्हें भी बुलाया जाता एवं भाग लेने की अनुमति दी जाती। इस मार्ग को 4 लेन से 6 लेन बनना था, मतलब कि सिर्फ दो लेन अतिरिक्त का सड़क निर्माण होना था लेकिन सड़क निर्माण के लिए उपयोग में आया डांबर और अन्य सामग्री (बिल में दी गई) की मात्रा भी विशेषज्ञों के मुताबिक 30 प्रतिशत अधिक लगी है जो कि संभव नहीं है और इसमें भी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इस प्रकार 65 करोड़ के कार्य को बिना निविदा के बुलाए कराए जाने के लिए शासन और विभाग के अधिकारी और मंत्री पुर्णतया दोषी हैं।
उक्त प्रकरण पर संजीव अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ शासन के तत्कालीन लोक निर्माण विभाग के मंत्री राजेश मूणत से प्रश्न करते हुए कहा है कि उनके विभाग में सन 2014 – 15 में इतना बड़ा घोटाला किसको लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था। इतना ही नहीं जो कार्य 2016 में पूरा होना था वह कार्य 2018 में पूरा हुआ जो कि समय सीमा से ज्यादा था तथा सप्लीमेंट्री के नाम पर ज्यादा पैसे खर्च किए गए। क्या इसके पीछे कमीशनखोरी थी या कोई और राजनीतिक दबाव था? क्या छत्तीसगढ़ में लोक निर्माण विभाग में ऐसे और भी घोटाले हुए हैं?
संजीव अग्रवाल ने कहा कि राजेश मूणत को मेरे इन सभी सवालों का जवाब मीडिया के सामने आकर देना होगा। साथ ही संजीव अग्रवाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की है कि इस संगीन विषय को ध्यान में रखते हुए संबंधित विभाग के मंत्री और अधिकारियों को निर्देश दें कि ऐसे भ्रष्टाचार के जितने भी कार्य पिछले 15 सालों में छत्तीसगढ़ में हुए हैं उन सभी की नए सिरे से जांच हो और संबंधित दोषी अधिकारियों और मंत्रियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो और इन्हीं मंत्रियों और अधिकारियों से पैसों की वसूली कर शासन को हुए राजस्व के नुकसान की भरपाई की जाए।
इसकी शिकायत महालेखाकार छत्तीसगढ़ एव EOW मै की जायेगी