सबसे ज़्यादा 344 पुरुषों ने कांकेर में,724 महिलाओं ने रायपुर में अपनाई नसबंदी
रायपुर 18 अगस्त 2019। इस वर्ष जनसँख्या स्थिरीकरण पखवाड़े के दौरान राज्य में 1,777 पुरुषों ने नसबंदी करवाई ।यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी अधिक है| पिछले साल इस पखवाड़े में केवल768 पुरुषों ने परिवार नियोजन का यह साधन अपनाया था।
सबसे ज़्यादा 344 पुरुषों ने कांकेर में तो 724 महिलाओं ने रायपुर में नसबंदीकरायी । कांकेर पिछले दो वर्षों से सबसे अधिक पुरुषों ने नसबंदी करवाई।
हालांकि यह आंकड़ा प्रोत्साहित करने वाला है लेकिन पुरुषों की तुलना में नसबंदी अपनाने वाली महिलाओं का आंकड़ा अब भी ज्यादा ही है। इस वर्ष जनसँख्या स्थिरता पखवाड़े में 4,751 महिलाओं ने नसबंदी करवाई जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2518 था ।
उप संचालक परिवार कल्याण संचनालय स्वास्थ्य सेवाऐं छत्तीसगढ डॉ. अखिलेश त्रिपाठी ने बताया राज्य में पुरुष नसबंदी सबसे कम बेमेतरा और जांजगीर-चांपा जिले में हुई और सबसे अधिक कांकेर जिले में की गई ।
जिलेवार जानकारी देते हुए डॉ त्रिपाठी ने बताया कांकरे में 344, रायपुर में 161, कोरबा(186), बीजापुर(163), कोंडागांव(143), बलोदाबजार(105), राजनंदगांव(97), सुकमा(79),बस्तर(72), धमतरी (69),कबीरधाम(53), सरगुजा(50), नारायणपुर(49), बालोद(49), महासमुंद(43), मुंगेली(42), दुर्ग(19), जशपुर(16), रायगढ़(8), दंतेवाडा(7), गरियाबंद(7), बलरामपुर(6), सूरजपुर(6), बिलासपुर(2), और में कोरिया(1)| बेमेतरा और जांजगीर-चांपा जिलों में किसी पुरुष ने नसबंदी नहीं अपनाई|
इसकी तुलना में वर्ष 2018-19 में जिलेवार पुरुष नसबंदी के आंकड़ों के अनुसार कांकेर में 198, कोंडागांव में 157, रायपुर(62), सरगुजा(61), दंतेवाडा(50), कोरबा(49), बालोद(42), धमतरी(41), महासमुंद(28), बस्तर(21), नारायणपुर(17), बलोदाबजार(12), मुंगेली(9), कबीरधाम(8), राजनंदगांव(8), बलरामपुर(2), और बेमेतरा,दुर्ग, और जशपुर में 1-1 पुरुष नसबंदी दर्ज की गयी| बीजापुर, बिलासपुर, गरियाबंद, जांजगीर – चांपा, कोरिया, रायगढ़, सुकमा और सूरजपुर में किसी पुरुष ने भी नसबंदी नहीं करवाई थी|
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई से छत्तीसगढ़ में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े के रुप में आयोजित किया गया जो 24 जुलाई तक चला ।
जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े की शुरुआत 27 जून से की गयी थी।प्रथम पखवाड़ा 27 जून से 10 जुलाई तक जागरूकता अभियान के रुप में मनाया गया और दूसरा पखवाड़ा जनसंख्या स्थिरीकरण के नाम से 11 जुलाई से 24 जुलाई तक मनाया गया । पहले पखवाड़े में दंपतियों में जागरूकता का कार्य स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ कहे जाने वाली मितानिन के माध्यम से दंपतियों को नसबंदी के लिए प्रेरित करने का काम किया गया, और दूसरे पखवाड़े में नसबंदी एवं अन्य जनसंख्या स्थिरीकरण के साधनों लियें दंपत्तियों को प्रेरित किया ।
राज्य में महिला नसबंदी सबसे कम गरियाबंद जिले में हुई और सबसे अधिक रायपुर जिले में की गई । जिलेवार आंकड़ों के अनुसार रायपुर में 724, बलोदाबजार में 467, दुर्ग(460), धमतरी(334), कबीरधाम(300), जशपुर(287), राजनंदगांव(284), महासमुंद(232), सुरगुजा(220), बिलासपुर(214), बस्तर(213),मुंगेली(156), जांजगीर-चाम्पा (142), बलरामपुर(136), बेमेतरा(119), कोंडागांव(79), रायगढ़(71), कांकेर(67), कोरबा(65), सूरजपुर(58), नारायणपुर(31), बालोद(51), दंतेवाडा(23), कोरिया(9),सुकमा(7), और बीजापुर(2) महिलाओं ने नसबंदी अपनाई|
वर्ष 2018-19 में जिलेवार महिला नसबंदी के आंकड़ों के अनुसार रायपुर में 567, धमतरी में 284, बलोदाबजार(185), राजनंदगांव(166), बालोद(164), कबीरधाम(163), सरगुजा(143), जांजगीर-चाम्पा(129), सूरजपुर(121), दुर्ग(109), कोरबा(86), कांकेर(76), बेमेतरा(65), कोंडागांव(59), नारायणपुर(29), बलरामपुर(26), जशपुर(25), मुंगेली(21), कोरिया(20), महासमुंद(19), रायगढ़(19), बस्तर(16), सुकमा(14), दंतेवाडा (8), और बिलासपुर में 4 महिलाओं ने नसबंदी अपनाई|
जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े के तहत छत्तीसगढ में हुई गतिविधियों की जानकारी देते हुए डॉ. अखिलेश त्रिपाठी ने बताया पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 4751 महिलाओं एवं 1777 पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं 13,880 महिलाओं ने गर्भनिरोधक साधन के रूप में दोनो प्रकार के कॉपर-टी अपनाए। कॉपर टी (आई यू सी डी -375 एवं 380 ए) महिलाओं को 5 वर्ष और 10 वर्ष के लिए कारगर होते हैं और अनचाहे गर्भ से बचाते हैं । अगर दम्पति बच्चे की इच्छा रखते हों तो इससे निकलवाया भी जा सकता है ।
इसी तरह पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रायूटरिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) एवं पीएआईयूसीडी (पोस्ट अबॉर्शन इंट्रायूटरिन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) अस्थायी गर्भनिरोधक हैं जो इस पखवाड़े में 3,268 महिलाओं ने लगवाया वहीं अंतरा इंजेक्शन 3,373 महिलाओं ने गर्भनिरोधक के साधन के रूप में अपनाया ।
इस पखवाड़े में पुरुषों में कंडोम वितरित किये गए । यह वितरण मितानिन द्वारा किया गया और सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों और हेल्थ और वैलनेस सेंटर से किया गया । माला एन एवं छाया का वितरण महिलाओं के लियें मितानिन द्वारा और स्वास्थ केन्द्रों में किया गया| इसके अतिरिक्त इमरजेंसी पिल्सका भी महिलाओं को वितरण किया गया ।
डॉ. त्रिपाठी ने बताया ऐसे गांव का चयन किया गया जहा दो या दो से अधिक बच्चों वाले दम्पति ज़्यादा हैं। गांव में पूर्व में नसबंदी कराए पुरुष साथियों के माध्यम से गोष्ठियों का आयोजन किया जिसको ‘’मोर मितान मोर संगवारी’’ नाम दिया गया । इस लोकल डायलॉग के माध्यम से छोटे परिवार के साथ साथ जिन पुरुषों ने नसबंदी कराई थी उन्होंने अपने अनुभव को अपने साथियों के मध्य रखा जिससे प्रभावित होकर 2019-20 नसबंदी के आंकड़े दुगने हो गए हैं । इसके साथ साथ मीडिया ने जो व्यापक प्रचार-प्रसार किया उसका भी लाभ इस पखवाड़े में देखने को मिला ।
जिन पुरुषों की नसबंदी हो गए चुकी थी उन्होंने अपने साथियों को समझाने का काम भी किया जिससे भ्रान्तिया दूर करने में सहायता मिली और यह सन्देश भी गया कि परिवार को सीमित रख कर उसका ध्यान रख कर उनके रहन-सहन के स्तर को भी बढ़ा सकते हैं ।