नियुक्तियों में धांधली का आरोप, बीएचयू में प्रशासन के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन

वाराणसी
काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय(बीएचयू) में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर सोमवार सुबह छात्रों ने एक बार फिर धरना शुरू कर दिया। इस दौरान होल्‍कर भवन के गेट को बंदकर पूरे दिन छात्र अनशन पर बैठे रहे। वहीं धरने की जानकारी के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने यहां पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया।

शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में मनमानी का आरोप लगाते हुए पिछले सोमवार को भी छात्रों ने प्रदर्शन और चक्‍का जाम किया था। उस समय यूजीसी से गाइडलाइन लेने और छात्रों की बात भी सुनने का आश्‍वासन मिलने पर प्रदर्शन समाप्‍त हुआ था। एक सप्‍ताह बाद भी कुछ नहीं हुआ तो छात्र फिर उसी होल्‍कर भवन के सामने धरने पर बैठ गए, जहां पिछले सोमवार को प्रदर्शन किया था।

छात्रों ने लगाया नियम के खिलाफ काम करने का आरोप
छात्रों का कहना है कि असिस्‍टेंट प्रफेसर की नियुक्ति में नेट परीक्षा उतीर्ण होना अनिवार्य है। जबकि परफॉर्मिंग आर्ट्स संकाय में होने वाली नियुक्तियों के साक्षात्‍कार की जो सूची बनाई गई है उसमें कई उम्‍मीदवारों को इस आधार पर अयोग्‍य कर दिया है कि उन्‍होंने आरक्षित श्रेणी ओबीसी, एससी एवं एसटी में नेट परीक्षा पास की है। जबकि यूजीसी का ऐसा कोई नियम नहीं है। विश्‍वविद्यालय प्रशासन का यह कदम असंवैधानिक है।

यूजीसी से मिले जवाब से स्थिति स्पष्ट नहीं
पिछले सप्‍ताह प्रदर्शन के बाद छात्रों के दबाव पर बीएचयू प्रशासन ने इस मामले में यूजीसी से संपर्क किया, जिसपर यूजीसी का जवाब भी आया। हालांकि विश्‍वविद्यालय प्रशासन को जवाब से स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं हो पाई। ऐसे में फिर से यूजीसी को पत्र भेजा गया है। छात्रों का कहना है कि जब यूजीसी से स्थिति से स्‍पष्‍ट नहीं हुई तो फिर से साक्षात्‍कार शुरू करना गलत है। आरोप लगाया कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन ओबीसी, एससी-एसटी के छात्रों को नियुक्ति नहीं देना चाहता है।

Source: UttarPradesh

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