आज गृह मंत्री ने राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश करते हुए कहा कि विधेयक पारित होते ही तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों की जिंदगी में नया सवेरा आ जाएगा। उन्होंने कहा कि विधेयक के कानून बन जाने के बाद भारत में आए उपरोक्त तीनों देशों से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, इसाई और पारसी धर्मावलंबियों को क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी। आइए बिंदुवार जानते हैं कि नागरिकता कानून में संशोधन के बाद भारत में रह रहे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों/अवैध प्रवासियों को क्या-क्या फायदे मिलेंगे…
1. नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 2(1)(बी) में पासपोर्ट, वीजा और ट्रैवल डॉक्युमेंट्स के बगैर जो प्रवासी भारत में आते हैं या जिनका पासपोर्ट और वीजा एक्सपायर कर जाता है, उनको अवैध प्रवासी माना जाता है। इसमें संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। यानी, नए कानून के तहत ऐसे प्रवासियों को अवैध नहीं माना जाएगा।
2. इसमें नई धारा धारा 6(बी)(बी) लाने का प्रस्ताव है जिसके तहत धार्मिक उत्पीड़न के शिकार उपरोक्त प्रवासी निर्धारित की गई शर्तों और प्रतिबंधों के तौर-तरीकों को अपनाकर रजिस्ट्रेशन कराकर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
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3. नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 या तीसरे शेड्यूल की शर्तों को पूरा करते हुए भारत की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं तो वो जिस तिथि से भारत आए हैं, उन्हें उसी तिथि से भारत की नागरिकता दे दी जाएगी।
4. ऐसे अल्पसंख्यक प्रवासी के खिलाफ अवैध प्रवास/घुसपैठ या नागरिकता के संबंध में अगर कोई मुकदमा चल रहा है तो इस बिल के प्रावधान से सारे केस खत्म हो जाएंगे। उन्होंने यहां की स्थानीय कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं करना पड़ेगा।
5. आवेदक अगर किसी भी प्रकार का अधिकार या सुविधा ले रहा है तो बिल के प्रावधान के तहत उसे अधिकार या सुविधा से वंचित नहीं किया जाएगा। मसलन, अगर किसी प्रवासी ने अगर कहीं रहते हुए छोटी-मोटी दुकानें कर ली हैं तो संभव है कि वो स्थानीय कानून की नजर में गलत हों, लेकिन इस बिल के प्रावधान के तहत इसे रेग्युलराइज कर दिया जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख और इसाई पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। उन्हें अपने-अपने देश में धार्मिक प्रताड़ना सहना पड़ा है, इसलिए वो भारत आए हैं। उन्होंने बिल का विरोध करने वाले विपक्षी सांसदों से अपील की कि वो आखों में उम्मीद की किरण लिए जो प्रताड़ित हिंदू, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख और इसाई भारत आए हैं, उन्हें यहां नरक की जिंदगी के निकालने के लिए इस बिल का समर्थन करें। गौरतलब है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को लोकसभा की मंजूरी 9 दिसंबर को ही मिल गई थी।
Source: National