बांग्लादेश से विस्थापित होने वाले 5 लाख से ज्यादा उन बंगाली हिंदुओं के लिए नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) एक उम्मीद की तरह से है, जो की लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने में नाकाम रहे थे। 31 अगस्त को जारी हुए एनआरसी की फाइनल लिस्ट से करीब 19 लाख लोग बाहर हुए थे।
असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘इन पांच लाख हिंदुओं को अप्लाई करने की जरूरत है। नागरिकता दिए जाने से पहले उनके ऐप्लिकेशन की समीक्षा की जाएगी। 2021 में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों से पहले हम उन्हें नागरिकता दिए जाने की उम्मीद करते हैं।’ लोकसभा से पास होने के बाद नागरिकता संशोधन बिल को अब राज्यसभा का रास्ता पार करना है। बिल को राज्यसभा में पेश किया गया है।
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सीएबी के पक्ष में बीजेपी की तरफ से सबसे अधिक मुखर आवाज रहे सरमा ने कहा, ‘एनआरसी की लिस्ट से गए बाहर हुए 5 लाख 4 हजार 800 बंगाली हिंदुओं में से 3-4 लाख ही संशोधन कानून के तहत नागरिकता के लिए अप्लाई करेंगे। अभी करीब एक लाख बंगाली हिंदू हैं, जिन्होंने एनआरसी में शामिल किए जाने के लिए अप्लाई ही नहीं किया था। इन सभी आंकड़ों को देखते हुए मुझे नहीं लगता है कि 5 लाख से अधिक लोग नागरिकता के लिए अप्लाई करेंगे।’
सरमा ने कहा, ‘कामरुप और होजाई जिलों में करीब 60 हजार योग्य बंगाली हिंदू हैं, जो बाकी किसी भी जगह से कहीं अधिक है।’ वहीं होजाई में 60 हजार मुस्लिमों का नाम एनआरसी से बाहर है। दर्रांग जिले में रहने वाले 1.55 लाख मुसलमान इस लिस्ट से बाहर हैं, जो सबसे अधिक संख्या है। होजाई ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट चीफ बदरुद्दीन अजमल का गृह जिला है।’
बचे हुए 13 लाख लोगों में 7 लाख मुसलमान शामिल हैं, जिन्हें कुछ गड़बड़ियों और लिंकेज में असमानता के आधार पर बाहर किया गया था। ऐसे सभी लोग अब ट्राइब्यूनल्स में अप्रोच कर सकते हैं। सोमवार को असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 9 राज्यों के 34 जिलों में रह रहे 2 लाख बंगाली हिंदुओं की लिस्ट तैयार कर ली थी, जो ‘नागरिकता के योग्य’ हैं।
Source: National