फांसी कब? निर्भया के दोषियों की यूं बढ़ी जिंदगी

नई दिल्ली
इधर ” के मां-बाप के साथ पूरा देश दोषियों की पर टकटकी लगाए बैठा है। उधर, दोषी हैं जो इसे टालने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। उन्होंने मौत के फंदे से बचने के लिए अपनी लंबित अपीलों को ढाल बनाने की तैयारी की है। अब देखना यह होगा कि कातिल अपनी इस कोशिश में कितना कामयाब रहते हैं, जिन्हें शुक्रवार को इस मुद्दे पर अदालत के सामने अपना पक्ष रखने का निर्देश मिला है। तिहाड़ प्रशासन के मुताबिक सुरक्षा के मद्देनजर दोषियों को इस दिन विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत से कनेक्ट किया जा सकता है, पर व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होंगे।

एडवोकेट ए.पी. सिंह ने बताया कि उन्हें गुरुवार को अदालत से एक नोटिस मिला, जिसमें उन्हें 13 दिसंबर को वहां हाजिर रहने के लिए कहा गया है। अदालत ‘निर्भया’ के अभिभावकों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें उन्होंने दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश देने की मांग की है। सिंह मामले में और हत्या के जुर्म में जेल में बाद चार दोषियों में से तीन-अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता के वकील हैं। उन्होंने कहा, ‘इन तीनों की अपीलें अलग-अलग अदालतों में लंबित हैं, जब तक उनका निपटारा नहीं हो जाता, इन्हें फांसी कैसे दी जा सकती है।’

बचाव पक्ष के वकील ने ऐसी तीन अपीलों का खासतौर पर जिक्र किया। इनमें से एक लूट का मामला है। निचली अदालत ने दोषी मुकेश और एक जूवेनाइन समेत इन तीनों को रामाधार नाम के एक कारपेंटर के साथ लूटपाट के जुर्म में 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। यह घटना 16 दिसंबर 2012 को ‘निर्भया’ के गैंगरेप से कुछ देर पहले ही हुई थी। सिंह के मुताबिक, उन्होंने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है, जिस पर पुलिस को नोटिस भी हो रखा है। दूसरी, अपील पवन की उम्र से जुड़ी है। उसने घटना के वक्त माइनर न माने जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में ये अपील दायर की हुई है। उसके वकील ने कहा कि इस अपील पर भी प्रतिवादियों को नोटिस जारी होने के बाद से सुनवाई लंबित पड़ी है।

तीसरी, अपील अक्षय कुमार की है जिसने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है और फांसी की सजा से जुड़े फैसले पर दोबारा से विचार की मांग की है। इस पर सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की गई है। इनके अलावा, विनय की दया याचिका पर अभी राष्ट्रपति का फैसला आना बाकी है।

‘एक अपील बन सकती है रोड़ा’
क्या इन अपीलों के लंबित होने से दोषियों की फांसी पर कोई असर पड़ेगा? इसके जवाब में सीनियर काउंसिल राजीव मोहन ने कहा, ‘दया याचिका को छोड़े दें तो बाकी तीन में से सिर्फ एक अपील है जो इसमें रोड़ा बन सकती है और वह है पवन की उम्र से जुड़े विवाद से जुड़ी अपील। मुझे भी इसके लंबित होने की जानकारी दी गई है। ऐसा है तो इस विवाद के निपटारे तक कानूनन दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती।’ तमाम मामलों में पुलिस की पैरवी करने वाले राजीव मोहन अब प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। हालांकि, इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जहां तक लूट का मामला है तो वह एक अलग केस है और उसका इस केस में सुनाई गई सजा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर भी राहत मिलने की उम्मीदें बेहद कम हैं।’

Source: National

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