37 साल के इस क्रिकेटर ने ग्रीम स्वान के साथ मिलकर इंग्लैंड को 2012 में भारत में टेस्ट सीरीज में यादगार जीत दिलाने में अहम योगदान दिया था। इसके बाद हालांकि उनका करियर नीचे गिरने लगा और उन्होंने 2013 में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। उन्होंने उस समय ब्राइटन नाइट क्लब में बाउंसरों के ऊपर पेशाब कर दिया था जिसने उनके करियर को काफी प्रभावित किया।
पढ़ें,
पनेसर का मानसिक स्वास्थ्य तब गड़बड़ा गया था लेकिन वह इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। इंग्लैंड के लिए 50 टेस्ट खेलने वाले इस स्पिनर ने कहा, ‘मैं काफी लंबे समय तक इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं था।’
यहां एकामरा खेल साहित्य उत्सव से इतर पनेसर ने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं था क्योंकि मुझे डर था कि लोग कहेंगे कि मेरे जैसा क्रिकेटर डिप्रेशन की चपेट में कैसे आ सकता है। इसके साथ ही मैं पंजाबी हूं, जट्ट हूं। मुझे लगा हर कोई कहेगा कि तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं हो रहा और तुम ठीक हो जाओगे।’
पढ़ें,
भारत के खिलाफ 2006 में करियर शुरू करने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, ‘बाद में, मुझे एहसास हुआ कि मैं कितना गलत था। अगर मैं अपने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करता तो मैं बहुत तेजी से ठीक हो जाता।’
पनेसर ने अवसाद से बाहर निकलने पर परिवार और दोस्तों का शुक्रिया करते हुए बताया कि उन्होंने शराब पीना छोड़ दिया है और अब कीर्तन में जाते हैं जो उनके लिए अवसादरोधी की तरह है। ग्लेन मैक्सवेल के अलावा कई क्रिकेटरों ने हाल के दिनों में मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा उठाया है।
पनेसर ने लंबे समय तक इसका सामना किया है और उन्होंने मौजूदा खिलाड़ियों को इससे निपटने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘अगर आप पेशेवर क्रिकेटर हैं और अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं तो इस बारे में बात करना काफी मुश्किल होता है। आप किसी करीबी से इसे साझा कर सकते हैं। अगर क्रिकेट से ब्रेक लेने की जरूरत हो ब्रेक लेना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य जरूरी है।’
Source: Sports