सरकारी भर्ती में फर्जीवाड़ा रोकने को नई-नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है तो फर्जीवाड़ा करने वाले भी पीछे नहीं हैं। वाराणसी में सिपाही भर्ती में अंगूठे के स्कैन (क्लोन) के जरिए बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इसमें बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन करने वाली कंपनी टीएसएस के कर्मचारियों की मिलीभगत रही है। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। फर्जीवाड़े के नए तरीके के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पुलिस भर्ती बोर्ड भेजी जाएगी।
सिपाही भर्ती परीक्षा 2018 में लिखित परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन बायोमिट्रिक वेरिफिकेशन इन दिनों पुलिस लाइन मं चल रहा है। अधिकारियों को सूचना मिली थी कि साल्वर गैंग ने ऑनलाइन लिखित परीक्षा में मुन्ना भाई बैठाकर कुछ अभ्यर्थियों को पास कराया है। इसके चलते सत्यापन के लिए आने वाले अभ्यर्थियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
शनिवार को वेरिफिकेशन के दौरान आजमगढ़ के विवेक यादव पर शक होने पर जांच की गई तो पता चला कि उसने अपने अंगूठे पर मुन्ना भाई के अंगूठे का स्कैन कराकर त्वचा के रंग की रबर की झिल्ली लगाई है। बेहद बारीक झिल्ली को विवेक के अंगूठे पर इस तरह चिपकाया गया था कि सामान्य आदमी पकड़ ही न पाए।
एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि मामले की जांच में सामने आया है कि बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन करने वाली टीसीएस कंपनी के कर्मचारियों तथा तकनीक की मदद से साल्वर गैंग ने अभ्यर्थियों से परीक्षा के चारों चरण पास कराने का ठेका लिया था। अभ्यर्थी विवेक ने अंगूठे के क्लोन के जरिए फर्जीवाड़ा करने का प्रयास किया तो दूसरे अभ्यर्थी राकेश वर्मा की जो तस्वीर कंप्यूटर सिस्टम में अपलोड की गई, वह पुलिस लाइन स्थित सत्यापन स्थल की नहीं है। टीसीएस कंपनी के कर्मचारी प्रदीप कुमार भारद्वाज व अभ्यर्थी राकेश व विवेक को गिरफ्तार कर मामले की जांच एएसपी मो. मुश्ताक को सौंपी गई है।
पकड़े गए अभ्यर्थी राकेश व विवेक यादव ने पूछताछ में बताया कि साल्वर गैंग का सरगना कौन है, यह वह नहीं जानते हैं। सिपाही भर्ती परीक्षा का फार्म भरने के बाद कुछ लोगों ने उन्हें कॉल कर संपर्क किया था। परीक्षा में पास कराने के लिए ढाई लाख में सौदा तय हुआ था। विवेक ने बताया कि अंगूठे का क्लोन साल्वर गैंग ने ही उपलब्ध कराया था। पकड़े गए आरोपियों की कॉल डिटेल के जरिए पुलिस साल्वर गैंग के सदस्यों व सरगना तक पहुंचने की कोशिश में है।
बता दें कि इससे पहले पीएसी सिपाही भर्ती के रि-मेडिकल टेस्ट में फर्जीवाड़े का पुलिस ने भंडाफोड़ किया था। सिविल पुलिस व पीएसी के सिपाही, सरकारी डॉक्टरों और दलालों ने रि-मेडिकल में पास करने के लिए ढाई से तीन लाख रुपये वसूले थे। इस मामले में दो सरकारी डॉक्टरों समेत चार आरोपी जेल जा चुके हैं।
Source: International