भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और राजनेता का सफर अभी तक काफी उतार-चढ़ाव भरा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने साल 2000 में उन पर सभी तरह की क्रिकेटीय गतिविधियों से प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने 12 साल तक इसके खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ी। 2012 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने उन पर लगा लाइफ टाइम बैन हटा लिया। इस फैसले के बाद भी उन्हें 2017 में हैदराबाद क्रिकेट असोसिएशन (एचसीए) के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से रोका गया। हालांकि, इस साल सितंबर उन्होंने चुनाव लड़ा और जीते। अजहर 19 साल बाद एक बार फिर क्रिकेट में लौट आए हैं, इस बार प्रशासनिक भूमिका में हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी दिल्ली टाइम्स से अजहर की खास बातचीत…
प्रशासनिक भूमिका में आपके पास चुनौतियां हैं। आप इनका सामना कैसे कर रहे हैं?
मैंने प्रशासनिक भूमिका निभाने के बारे में कभी नहीं सोचा था। हैदराबाद क्रिकेट में हालात अच्छे नहीं थे और युवा खिलाड़ी परेशान हो रहे थे। वहां प्रतिभा है लेकिन कोई इंस्फ्रास्टकचर नहीं है। बीते कुछ साल में हमारा नाम भी अच्छा नहीं रहा है। मुझे उम्मीद है कि हम अपने अतीत का गौरव हासिल कर पाएंगे। इसी वजह से मैंने चुनावों में भाग लिया। मैं काफी तेज रफ्तार से काम कर रहा हूं लेकिन मेरे पास जादू की कोई छड़ी नहीं है। एक क्रिकेटर के तौर आप 25 गेंदों पर 50 रन बना सकते हैं लेकिन प्रशासन एक तरह का खेल है।
बीसीसीआई ने मैच फिक्सिंग के आरोपों के चलते आप पर साल 2000 में आजीवन प्रतिबंध लगाया था। आपने इसके खिलाफ 12 साल तक अदालत में लड़ाई लड़ी। क्या वह आपके जीवन का सबसे मुश्किल दौर था?
वह काफी मुश्किल था। लेकिन इसी के साथ मुझे विश्वास था। मुझमें बेहिसाब सब्र है और उस दौरान इसी बात ने मेरी काफी मदद की। ईश्वर में मेरे विश्वास ने भी मेरी काफी मदद की। कई बार, आपका मुकदर आपको वहां ले जाता है जहां आप जाना नहीं चाहते। मुझे लगता है जो कुछ हुआ वह नियति थी और आप अतीत को नहीं बदल सकती। और अब मैं वहीं पहुंच गया हूं जहां मैं बिलॉन्ग करता हूं। इसके लिए करीब 20 साल लग गए, लेकिन मुझे इस सबसे कोई शिकायत नहीं है।
लेकिन 20 साल तो लंबा वक्त होता है…
ठीक है, अब इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। जब लोग मेरे बारे में पूर्वग्रह रखते हैं, तो मैं नाराज नहीं होता। मैं चीजों को स्वीकार करना सीख गया हूं। मेरा लालन-पालन मेरे दादा ने किया, उन्होंने मुझे कई अच्छी आदतें सिखाईं। सब्र रखना उनमें से सबसे महत्वपूर्ण है। जब आप अच्छा कर रहे होते हैं तो सब आपके बारे में जानना चाहते हैं, लेकिन जब आपका वक्त खराब चल रहा होता है तो लोगों की राय दूसरी होती है। बेशक, ऐसे लोग हमेशा होते हैं जो अच्छे-बुरे वक्त में आपके साथ रहते हैं। आपकी उपलब्धियों का सम्मान करते हैं। जब मैंने क्रिकेट खेलना छोड़ा, तब भी कुछ लोग ऐसे थे जो मेरे करीब रहना चाहते थे। इसका अर्थ यह था कि मैंने कुछ न कुछ सही किया था। अगर आप एक अच्छे इनसान हैं और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, तो आपको लंबे समय तक याद किया जाएगा। बाकी सब अस्थायी है।
अब जब आप क्रिकेट में लौट आए हैं, तो आपकी सबसे बड़ी सीख क्या रही?
मैंने किसी पर भी आरोप न लगाना सीखा है। आप जब दूसरों को दोषी ठहराना शुरू करते हैं, तो इसका कोई अंत नहीं। आपको अपनी लड़ाइयां खुद लड़नी पड़ती हैं। कई लोग मुझसे पूछते हैं कि किसी ने मेरे पक्ष में क्यों नहीं बोला (मैच फिक्सिंग के आरोपों के दौरान) और क्या इसका मुझ पर असर पड़ा। लेकिन मुझे किसी के समर्थन की उम्मीद नहीं थी, तो मुझे बिलकुल बुरा नहीं लगा। अगर मैंने उनके साथ की उम्मीद की होती तो मुझे बुरा लगता।
आपका बेटा, मोहम्मद असदुद्दीन भी क्रिकेटर है। आप उसे सबसे जरूरी कौन सी सलाह देना चाहेंगे?
मेरे बेटे में प्रतिभा है लेकिन उसे उसका इस्तेमाल भी करना होगा। वह 29 साल को हो चुका है लेकिन वक्त आपके लिए कभी भी बदल सकता है। मैंने जनवरी 1984 में अपना डेब्यू किया और फिर उसके बाद जिस भी टूर्नमेंट में मुझे चुना गया, मैंने अच्छा प्रदर्शन किया। उस साल दिसंबर तक मैंने टीम में अपनी जगह बना ली थी। मुझे 365 दिन लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद यह मौका मिला था। कई बार यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी होती है, कई बार बहुत तेज होती है। हर किसी का अपना सफर होता है, तो आपको कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
असदुद्दीन की शादी सानिया मिर्जा की बहन अनम से हुई है। यह दो खेल परिवारों का साथ आने जैसा है…
दोनों परिवार काफी खुश हैं। आखिर उन्होंने शादी करने का फैसला किया। खेल परिवारों से जुड़े होना अलग बात है, शादी दो व्यक्तियों का निजी फैसला है और उनकी खुशी सबसे जरूरी होती है।
2016 में आपके जीवन पर एक फिल्म- अजहर- बनी थी। इसमें इमरान हाशमी ने आपकी भूमिका निभाई थी। जिस तरह आपको स्क्रीन पर दिखाया गया क्या आप उससे खुश थे?
फिल्ममेकर्स ने वह किया जो उन्हें ठीक लगा। वह इसे काफी बेहतर बना सकते थे। चित्रण अच्छा था, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे क्रिकेट और मेहनत को अधिक दिखाया जाना चाहिए। मुझे इसकी कमी लगी।
क्रिकेट की बात करें तो मौजूदा भारतीय क्रिकेट टीम के बारे में आप क्या सोचते हैं, खास तौर पर को लेकर, जो आजकल काफी दबाव झेल रहे हैं?
हमारे पास इस समय दुनिया का बेस्ट बोलिंग अटैक और कुल मिलाकर बहुत अच्छी टीम है। जब तक हम काफी खराब न खेलें तब तक हमें कोई हरा नहीं सकता। मैं इस टीम की कप्तानी करके काफी खुश होता। हमारे दिनों में चीजें काफी आराम से होती थीं, हम कहीं भी बाहर जाकर कुछ खा सकते थे। आज चीजें काफी प्रफेशनल और सख्त हो गई हैं, जो मुझे लगता है कि एक हिसाब से सही भी है। जहां तक ऋषभ पंत का सवाल है तो वह प्रतिभाशाली हैं, लेकिन आखिर में आपको प्रदर्शन करके दिखाना होगा। उन्हें मौके मिले हैं लेकिन अभी तक वह उसका पूरा फायदा नहीं उठा पाए हैं।
सौरभ गांगुली और आप, दोनों पूर्व क्रिकेटर अब प्रशासनिक भूमिका में हैं। क्या आपको लगता है कि इससे खेल को फायदा होगा?
बेशक, यह हमेशा बेहतर होता है चूंकि क्रिकेटर होने के नाते आप खिलाड़ियों की मानसिकता को समझते हैं। सौरभ बीसीसीआई का अध्यक्ष बनना डिजर्व करते हैं। उनके पास क्षमता और अच्छे आइडिया हैं। उन्होंने भारतीय टीम की कप्तानी बहुत अच्छी तरह की थी और मुझे लगता है कि वह बीसीसीआई को भी सही दिशा में लेकर जाएंगे।
Source: Sports