मप्र के वन क्षेत्रों में पर्यटकों को आसानी से मिल सकेगी मदिरा

भोपाल, 15 दिसंबर (भाषा) मध्य प्रदेश सरकार ने वन क्षेत्र एवं कम आबादी के पर्यटन क्षेत्रों में अवैध शराब की गतिविधियों को रोकने के लिये रिसॉर्ट बार के लाइसेंस की फीस कम कर दी है। इससे प्रदेश के बाघ अभयारण्य और वन क्षेत्रों में आने वाले देश-विदेश के मदिरा के शौकीन पर्यटकों को अब वहां के रिसॉर्ट बार में आसानी से शराब उपलब्ध हो सकेगी। मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रदेश सरकार ने वन क्षेत्र और कम आबादी के पर्यटन क्षेत्रों में अवैध शराब की गतिविधियों को रोकने के लिये रिसॉर्ट बार (एफ एल-3) के लाइसेंस की फीस कम कर दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके फलस्वरूप बाँधवगढ़, कान्हा और अन्य वन क्षेत्रों में रिसॉर्ट बार खोलने के हाल ही में 13 नये प्रस्ताव राज्य शासन को प्राप्त हुए हैं।’’ राठौर ने बताया कि इससे वन क्षेत्र और कम आबादी के पर्यटन क्षेत्रों में अवैध शराब की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा, ‘‘बाघ अभयारण्य और वन क्षेत्रों में रिसॉर्ट में बार खोलने के लिए अधिक फीस होने के कारण वहां के रिसॉर्ट मालिक अपने रिसॉर्ट में बार नहीं खोलते थे। इससे इन इलाकों में अवैध शराब की गतिविधियों को प्रोत्साहन मिल रहा था। इसलिए सरकार ने वहां पर अवैध शराब की गतिविधियों को रोकने के लिये हाल ही में रिसॉर्ट बार के लाइसेंस की फीस कम की।’’ राठौर ने बताया कि इन इलाकों में बड़ी तादाद में विदेशी पर्यटक भी आते हैं और इससे उन्हें वहां पर आसानी से शराब एवं बियर मिल पाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में अभी तक आबकारी ठेकेदारों के विरुद्ध अनियमितता के 62,932 और अवैध रूप से मदिरा निर्माण, परिवहन, भंडारण और विक्रय करने वालों के विरुद्ध 61,511 प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही सुनिश्चित की गई है। राठौर ने बताया कि बीते एक वर्ष में प्रदेश में अवैध मदिरा परिवहन में उपयोग में लाये गये 432 वाहन जब्त किये गये हैं। साथ ही, हरियाणा और पंजाब राज्य से आने वाली अवैध मदिरा भी बड़ी मात्रा में जब्त की गई है। उन्होंने कहा है कि जन-कल्याणकारी नीतियों के लिये अधिक से अधिक धन राशि उपलब्ध कराने के लिये राज्य शासन ने चालू वित्त वर्ष में लगभग 13,000 करोड़ रुपये आबकारी राजस्व अर्जित करने का संशोधित लक्ष्य निर्धारित किया है।

Source: Madhyapradesh

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