मोदी 2.0 में कूटनीति का भी व्यस्त कार्यक्रम

नई दिल्ली
मोदी सरकार के दूसरे टर्म के पहले 6 महीने में अंदर ही न सिर्फ आंतरिक मोर्चे बल्कि कूटनीति के स्तर पर भी व्यस्त घटनाक्रम भरा रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पहले 6 महीने के अंदर ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 23 देशों का दौरा कर लिया है। इनमें 21 देशों का दौरा 10 अगस्त के बाद हुआ है यानी 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने के बाद। अब नागरिकता संशोधन कानून के बाद जहां एक बार फिर ग्लोबल स्तर पर कुछ चिंता व्यक्त की गई और इनके बीच पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने एक बार फिर झूठ और भ्रम फैलाने की कोशिश की है तो विदेश मंत्री का व्यस्त दौरा आगे भी जारी रह सकता है। सूत्रों के अनुसार अगले 45 दिनों में 10 देशों का दौरा विदेश मंत्री कर सकते हैं।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रॉपेगेंडा फैलाने के लिए तमाम देशों में खास प्रतिनिधि भेजे। कई एजेंसी को पूरी ताकत के साथ लगाया। ऐसे में भारत के लिए इस प्रॉपेगेंडा को सही जानकारी से जवाब देना जरूरी था। विदेश मंत्री के इस सघन दौरे का सकारात्मक परिणाम निकला और देश के अंदर उठे तमाम मसलों को इन देशों ने आंतरिक मामला बताया। अधिकतर मुस्लिम देशों तक ने भारत का साथ दिया। भारत इसी पैटर्न के तहत नागरिकता संशोधन कानून पर भी ग्लोबल कनेक्ट करने का सघन दौर शुरू कर चुका है। इस चरण में एस. जयशंकर अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों का दौरा करेंगे। यूरोपीय यूनियन की ओर से हाल में भारत के मसलों पर विरोधाभासी कॉमेंट किए गए हैं।

भारत को उम्मीद,अमेरिका से बातचीत में आगे बढ़ने का वक्त
इसी अहम मोड़ पर अगले हफ्ते भारत और अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता का अगला दौर 18 दिसंबर को शुरू होने वाला है। इसमें भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल होंगे। अमेरिका की ओर से रक्षा और विदेश मंत्री शामिल होंगे। भारत इस फॉर्मेट पर अमेरिका के अलावा सिर्फ जापान के साथ वार्ता करता है। अमेरिका से भारत की यह हाई लेवल वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस वार्ता में अब धारा 370 या उसके बाद उपजे हालात पर चर्चा नहीं होगी और अमेरिका भारत के स्टैंड से पूरी तरह सहमत हो चुका है। इस वार्ता में सबसे अहम होगा दोनों देशों के बीच अटकी व्यापार समझौते पर बात आगे बढ़ाना। इसके अलावा दक्षिण एशिया में आतंकवाद का मुद्दा भी इस वार्ता के अजेंडे में शामिल है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसर इस वार्ता के बाद पूरे विश्व को संदेश चला जाएगा कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की पाकिस्तान की कोशिशों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है।

Source: National

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