झारखंड में पांचवें और आखिरी चरण के विधानसभा चुनाव में गुरुजी यानी शिबू सोरेन के परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। चार चरणों में 65 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है और अब बाकी बची 16 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की ‘फर्स्ट फैमिली’ का लिटमस टेस्ट होना है। वहीं, दूसरी ओर बीजेपी पूरी तरह मोदी मैजिक के भरोसे है। पांचवें राउंड में 20 दिसंबर को मतदान है।
इस चरण में संथाल क्षेत्र की सीटों पर वोटिंग होनी है, जहां सोरेन परिवार के दो सदस्य चुनावी मैदान में हैं। जेएमएम अध्यक्ष और सीएम के दावेदार माने जा रहे हेमंत सोरेन दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं- दुमका और बरहैट। उनकी भाभी सीता सोरेन जामा विधानसभा सीट से चुनावी समर में उतरी हैं। ये तीनों सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
2019 में इकलौती लोकसभा सीट जेएमएम ने जीती
2014 के चुनाव में हेमंत ने बरहैट सीट से तकरीबन 24 हजार वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी, लेकिन वह बीजेपी के लुइस मरांडी से दुमका में हार गए थे। बरहैट विधानसभा राजमहल लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यही इकलौती सीट जेएमएम ने जीती थी। यहां जेएमएम के विजय हंसदक ने बीजेपी कैंडिडेट हेमंत मुर्मू को लगभग एक लाख मतों के अंतर से शिकस्त दी थी।
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‘विधायक नहीं सीएम चुनने के लिए चुनाव’
हेमंत सोरेन जीत के प्रति आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा, ‘लोगों के बीच वर्तमान सरकार के प्रति गुस्सा साफ दिखता है और वे हमारे साथ हैं।’ बरहैट बाजार में एक पैरा टीचर जगदीश मुर्मू कहते हैं, ‘यह चुनाव एक विधायक चुनने के लिए नहीं है बल्कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुनने के लिए है। हम हेमंत सोरेन के लिए वोट करेंगे।’
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‘हवा जिस तरफ उधर डालेंगे वोट’
बीजेपी ने इस क्षेत्र से एक पहाड़िया आदिवासी साइमन माल्टो को टिकट दिया है। कुछ इलाकों में उन्हें अपने समुदाय का समर्थन हासिल है। बरहैट के सुंदरपहाड़ी ब्लॉक के राजेश पहाड़िया कहते हैं, ‘2005 में माल्टो बीजेपी कैंडिडेट थे और हमने उन्हें वोट दिया था। इस बार भी हम उन्हीं को वोट देने जा रहे हैं। हालांकि बहुत से लोग हेमंत सोरेन के पक्ष में भी हैं। आखिर में हम देखेंगे कि हवा किस तरफ है और उसी के हिसाब से वोट डालेंगे।’
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जामा में 1980 के बाद सिर्फ 1 बार हारी जेएमएम
झारखंड राज्य के गठन से पहले से जामा सीट जेएमएम का गढ़ रही है। 1980 से पार्टी लगातार इस सीट पर जीत रही है। सिर्फ 2005 के चुनाव में बीजेपी यह सीट जेएमएम से छीनने में कामयाब हुई थी। 1985 में जेएमएम संस्थापक शिबू सोरेन इस सीट से 1985 में जीते थे और इसके बाद लगातार दो बार उनके बेटे दुर्गा सोरेन यहां से कामयाब हुए। 2005 में दुर्गा बीजेपी के सुनील सोरेन से हार गए थे। दुर्गा के निधन के बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन ने इस सीट से 2009 और 2014 में जीत दर्ज की। वह लगातार तीसरी बार इस सीट से मैदान में हैं। हालांकि 2014 में उनकी जीत का मार्जिन 2009 के 12000 वोटों से घटकर 2,300 पर पहुंच गया था।
दुमका में हेमंत को तगड़ी टक्कर
दुमका में हेमंत सोरेन को कड़ी चुनौती मिल रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके पिता शिबू सोरेन इस सीट से हार गए थे। इस सीट से शिबू सात बार सांसद रह चुके थे। आखिरी चरण की वोटिंग से ठीक पहले जमीनी हालात जानने और प्रचार अभियान के लिए हेमंत सोरेन दुमका के पुश्तैनी घर में शिफ्ट हो गए हैं।
Source: National