उन्नाव रेप: कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद, जानें 'अर्श से फर्श' तक की कहानी

कानपुर
उन्नाव रेप मामले में दोषी को ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सजा के ऐलान के साथ ही सेंगर की राजनीतिक पारी, रुतबा सब खत्म हो गया। 90 के दशक में कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाला कुलदीप सिंह सेंगर अब अर्श से फर्श पर आ चुका है। सेंगर की जिंदगी के तकरीबन हर पन्ने में जरायम का काला साया है। विधायकी कुलदीप की थी और इसे उसके भाई अतुल सिंह सेंगर और मनोज सिंह सेंगर भुनाते थे। टैक्सी, बस स्टैंड में वसूली से लेकर खनन तक सारे अवैध धंधे राजनीतिक औदे की छत्रछाया तले हो रहे थे।
अब आइए हर किस्से पर बारीकी से नजर डालते हैं…

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी (एसपी) का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए
ने बांगरमऊ से चुनाव लड़ा था। न सिर्फ सेंगर ने चुनाव लड़ा बल्कि अपने बाहुबल के साथ जीत भी दर्ज की। सेंगर ने इससे पूर्व 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्नाव की ही भगवंतनगर सीट से एसपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी।



मायावती ने दिखा दिया था बाहर का रास्ता
कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा चुनाव से पहले दिए गए ऐफिडेविट में चुनाव के दौरान गड़बड़ी करने का एक मामला दर्ज होने का जिक्र किया गया है। करोड़ों की चल-अचल संपत्ति के मालिक सेंगर मूल रूप से माखी गांव के रहने वाले हैं। कुलदीप सिंह सेंगर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी लेकिन यह साथ बहुत लंबे वक्त तक नहीं चल सका। वर्ष 2002 में जब विधानसभा चुनाव आए तो कुलदीप सिंह कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीएसपी के साथ चल दिए।

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बांगरमऊ से जीता था मुकाबला
कुलदीप सेंगर ने चुनावी मैदान में कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से मात दे दी। बाहुबली की छवि बनाने की वजह से 2007 से पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिर कुलदीप सिंह सेंगर ने समाजवादी पार्टी का दामन थामकर बांगरमऊ से जीत दर्ज की।

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’15 वर्षों तक प्रधान रहा सेंगर’
कुलदीप सिंह सेंगर के पड़ोसी से
एनबीटी ऑनलाइन ने बात की। वह कहते हैं, ‘कुलदीप सिंह की राजनीति की शुरुआत माखी ग्रामसभा के प्रधान के रूप में हुई थी। विधायक बनने से पहले वह तकरीबन 15 साल तक प्रधान रहे। माखी कुलदीप सिंह सेंगर का ननिहाल है। बचपन से ही वह यहां रह रहे थे। उनके नाना (बाबू सिंह) इससे पहले लंबे वक्त तक प्रधान रहे। फिलहाल, कुलदीप सिंह सेंगर के छोटे भाई अतुल सिंह की पत्नी माखी ग्रामसभा से प्रधान हैं। कुलदीप सिंह सेंगर बहुत कम उम्र में गांव के प्रधान चुने गए थे।’

पढ़ें: साक्षी महाराज से नजदीकी पर विवाद
हाल ही में कुलदीप सिंह सेंगर के छोटे भाई मनोज सिंह सेंगर की हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई थी। कुलदीप अपने भाई का अंतिम संस्कार करने पहुंचे तो वहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद साक्षी महाराज ने उन्हें अपने कंधे का सहारा दे दिया। इसके साथ ही साक्षी महाराज पर सवाल खड़े होने लगे। इतना ही नहीं, हाल ही में साक्षी महाराज ने सेंगर को जन्‍मदिन की बधाई भी दी, जिस पर फिर विवाद हुआ। इस बीच उन्नाव में एक और गैंगरेप की वारदात सामने आई। पीड़िता को आग के हवाले कर दिया गया। आनन-फानन साक्षी महाराज ने सेंगर को जन्मदिन की बधाई वाला ट्वीट डिलीट कर दिया।

Source: International

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