मथुरा, 15 जनवरी (भाषा) केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद से 4 पाकिस्तानी हिन्दू नागरिकों सहित कुल 10 लोगों ने भारतीय नागरिकता पाने के लिए आवेदन किया है। इनमें से चार हिन्दू वे हैं जो पाकिस्तान में ही पैदा हुए और वहीं रहते आए थे लेकिन समय के साथ बढ़ते अत्याचारों के बाद भारत आ गए और फिर बार-बार वीजा अवधि बढ़वाते हुए यहीं रहने लगे। इनमें एक महिला को तो यहां रहते हुए 30 वर्ष हो चुके हैं जबकि तीन अन्य को भी 10 से 15 साल बीत चुके हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) को मुहैया कराई गई जानकारी के अनुसार 62 वर्ष की राधाबाई वर्ष 1989 में भारत आई थीं। उस समय उनकी उम्र मात्र 32 वर्ष थी। वह अपने पति के साथ भारत आई थीं। उनके पति की मौत हो चुकी है। उनके दो पुत्र व तीन पुत्री हैं। उन्होंने बताया है कि पाकिस्तान में हमेशा अपहरण का डर बना रहता था। इसी तरह वृंदावन में रहने वाली जयाबाई कराची से यहां तब आई थीं जब होली के दिन ही उनके चचेरे भाई को सरेआम गोली मार दी गई थी। उनके दो पुत्र आनन्द व ऋषिकेश हैं। उनके मुताबिक पाकिस्तान में हिन्दुओं का हर प्रकार से उत्पीड़न किया जाता है। हिन्दू परम्परा के अनुसार पुरुषों को सिर पर शिखा (चोटी) नहीं रखने दी जाती तो महिलाओं के माथे पर बिन्दी लगाने पर ऐतराज किया जाता है। मंदिरों में जाने से रोका जाता है। जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने बताया, ‘भारतीय नागरिकता चाहने वाले जनपद में रह रहे विदेशी नागरिकों में कुल 10 व्यक्ति शामिल हैं जो सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं और यहां लंबे समय से रह रहे हैं। इनमें से 4 हिन्दू हैं तथा 6 मुस्लिम महिलाएं हैं जो मूलतः पाकिस्तानी नागरिक हैं और निकाह के बाद यहां आई हैं।’’ स्थानीय अभिसूचना इकाई के प्रभारी निरीक्षक केपी कौशिक ने बताया, ‘‘इस कानून के तहत सीधे तौर पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक (हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्राविधान है। लेकिन अन्य के बारे में जो भी निर्णय लेना होगा, सरकार ही लेगी। हमने इस बारे में मांगी गईं सभी संबंधित सूचनाएं सरकार को भेज दी हैं।’’
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