इंदौर, 15 जनवरी (भाषा) मध्य प्रदेश की राज्य प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में भील समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले के तूल पकड़ने के बाद एमपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ बुधवार शाम प्राथमिकी दर्ज की गयी। पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) कैलाशचंद्र मालवीय ने “पीटीआई-भाषा” को बताया कि यह प्राथमिकी जनजातीय समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रवि बघेल (30) की शिकायत पर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज की गयी। डीएसपी ने बताया कि बघेल राज्य प्रशासनिक सेवा की रविवार को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा में बतौर उम्मीदवार शामिल हुए थे। उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की आयोजित इस परीक्षा के प्रश्नपत्र में एक विवादास्पद गद्यांश रखे जाने से भील समुदाय का अपमान हुआ है। मालवीय ने बताया, “फिलहाल हमने एमपीपीएससी के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। हमने आरोपियों की पहचान के लिये एमपीपीएससी प्रशासन को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि विवादास्पद प्रश्नपत्र तैयार करने में किन लोगों की भूमिका थी। हम आरोपियों की जल्द ही पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करेंगे।” एमपीपीएससी की तीन दिन पहले आयोजित भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र का एक गद्यांश भील जनजाति पर आधारित था और परीक्षार्थियों को इसे पढ़कर कुछ सवालों के उत्तर देने थे। विवादास्पद गद्यांश में लिखा गया था, “भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का एक प्रमुख कारण यह भी है कि (वे) सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाते। फलत: धन उपार्जन की आशा में गैर वैधानिक और अनैतिक कार्य में भी संलिप्त हो जाते हैं।” भीलों की “वधू मूल्य” (वह राशि और उपहार जो विवाह के वक्त वर पक्ष द्वारा वधू के परिजनों को दिये जाते हैं) प्रथा का जिक्र करते हुए गद्यांश में यह भी कहा गया था, “भील, वधू मूल्य रूपी पत्थर से बंधी शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही जनजाति है।” इस गद्यांश पर कई आदिवासी संगठनों, विद्यार्थी संगठनों और राजनीतिक दलों ने आक्रोश जताया है। विवाद बढ़ने के बाद एमपीपीएससी प्रशासन ने विवादास्पद गद्यांश पर आधारित पांच सवालों को प्रश्नपत्र से हटा दिया।
Source: Madhyapradesh